मध्य प्रदेश में एक मई से तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में होने वाली कैबिनेट की बैठक में तबादला नीति 2025 को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
जिले के भीतर प्रभारी मंत्री को तबादले के अधिकार रहेंगे। पति-पत्नी को एक स्थान पर पदस्थ करने से लेकर गंभीर बीमारी के प्रकरणों में तबादले प्राथमिकता के आधार पर किए जाएंगे। इसके अलावा बैठक में सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा जाएगा। यह संयंत्र मध्य प्रदेश में लगेगा और इससे उत्तर प्रदेश को भी बिजली मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री समन्वय के माध्यम से हुए तबादले उसी सूरत में बदले जा सकेंगे, जब मुख्यमंत्री समन्वय से अनुमति ले ली गई हो। जिन अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार या पद के दुरुपयोग के मामले हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाएगा।
तीन वर्ष से एक स्थान पर पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी हटाए जाएंगे। जिले के भीतर तबादले की सूची कलेक्टर जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद तैयार करेंगे और उसे प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से क्रियान्वित किया जाएगा। यदि कोई संवर्ग 200 कर्मचारियों का है तो वहां 20 प्रतिशत, 2000 तक के संवर्ग में 10 प्रतिशत और इससे अधिक संवर्ग है तो वहां अधिकतम आठ प्रतिशत तक तबादले किए जा सकेंगे।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना तो खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग उपार्जन के लिए राशि की व्यवस्था संबंधी प्रस्ताव रखेगा। इसके अलावा कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के कुछ प्रकरण निर्णय के लिए रखे जाएंगे।