7 जनवरी 2024 को बांग्लादेश में हुए आम चुनावों में वहां रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को वोट किया था, ताकि वे सुरक्षित और शांति से रह सकें. लेकिन, चुनावों के बाद जारी हमलों से सामने आया है कि शेख हसीना सरकार अल्पसंख्यकों पर कट्टरपंथी हमले रोकने में नाकाम रही है.
चुनावों के बाद नई सरकार के बावजूद हिंदुओं पर हमले बंद नहीं हुए हैं. अल्पसंख्यक संगठनों का दावा है कि हर माह कम से कम 3 हमले हो रहे हैं. शेख हसीना के 5वीं बार बांग्लादेश के PM की शपथ लेने के बाद बांग्लादेश के 6 जिलों (कुश्तिया, बागेरहाट, जेनैदाह, गैबांधा, चटगांव और सिलहट) में हिंदुओं पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इनमें 35 लोग घायल हुए हैं, इनमें एक की मौत हुई है.
हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद के सदस्य रंजन-करमाकर का कहना है कि चुनावों के बाद अल्पसंख्यकों और मंदिरों पर होने वाले हमले चिंताजनक है. इन मामलों में कार्रवाई नहीं होने और आरोपियों को सजा नहीं मिलने के चलते कई कट्टरपंथी संगठनों के हौसले बढ़ रहे हैं. भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए कड़ी सजा होना जरूरी है.