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ISKCON के सदस्यों पर भड़ास निकाल रहा बांग्लादेश, वीजा-पासपोर्ट होने पर भी भारत में नहीं होने दी एंट्री

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ISKCON के मुख्य पुजारी चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद भी संस्था से जुड़े लोगों शिकंजा कसा जा रहा है. बताया जा रहा है कि बांग्लादेश से दर्जनों की संख्या में ISKCON के सदस्य भारत में दाखिल हो रहे थे, लेकिन सभी दस्तावेज पूरे होने के बाद भी बांग्लादेश की पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक लिया.

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ये सभी ISKCON के सदस्य बेनापोल बॉर्डर से भारत में दाखिल होने आए थे, लेकिन उन्हें लौटा दिया गया. इन सभी के पास वैध यात्रा दस्तावेज थे. जब वे भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे. बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइयां ने बांग्लादेशी अखबार को बताया,’हमने पुलिस की स्पेशल ब्रांच से बात की और आला अफसरों से पूछा कि इन लोगों को सीमा पार करने दिया जाए या नहीं.’

सरकारी अनुमति का बनाया बहाना

अहसानुल कादर का दावा है कि ISKCON के सदस्यों के पास वैध पासपोर्ट और वीजा तो थे, लेकिन उनके पास यात्रा के लिए जरूरी स्पेशल सरकारी अनुमति नहीं थी. कादर ने कहा,’सरकारी अनुमति के बिना वे लोग आगे नहीं बढ़ सकते. बता दें कि अलग-अलग जिलों से आए ISKCON भक्तों सहित 54 लोग शनिवार रात और रविवार सुबह बांग्लादेश की चेक पोस्ट पर पहुंचे थे. हालांकि, अनुमति के लिए घंटों इंतजार करने के बाद भी उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा अधिकृत नहीं है.

बांग्लादेश की बॉर्डर पर क्यों रोका?

ISKCON के जिन सदस्यों को भारत में दाखिल होने से रोका गया, उनमें से एक तपंदर चेली ने बताया,’हम भारत में हो रहे एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आए थे, लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया.’

बैंक खाते भी फ्रीज करने के आदेश

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब हिंदू नेता चिन्मय प्रभु को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है. बांग्लादेश के अधिकारियों ने चिन्मय प्रभु सहित ISKCON के 17 सहयोगियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है.

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