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थम नहीं रहा बांग्लादेश इस्कॉन विवाद… चिन्मय दास को प्रसाद देने जा रहे दो हिंदू गिरफ्तार, सचिव भी लापता

बांग्लादेश में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास पर इस्कॉन अपना रुख साफ कर चुका है. इस्कॉन ने पहले ही कह ही दिया है कि वो बांग्लादेश हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास का समर्थन करता है. चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर विवाद थमा भी नहीं था कि अब कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने दावा किया है कि चिन्मय दास के सचिव लापता हैं, वहीं दो भक्त उनको प्रसाद देने के लिए जा रहे थें, जिन्हें बांग्लादेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

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सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि एक बुरी खबर आई है. चिन्मय दास के लिए प्रसाद लेकर गए दो भक्तों को मंदिर लौटते समय गिरफ्तार कर लिया गया और चिन्मय दास के सचिव भी लापता हैं.

इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातें फ्रीज

बांग्लादेश के वित्तीय अधिकारियों ने इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास और संस्था से जुड़े 17 अन्य लोगों के बैंक खातों से लेन-देन पर 30 दिन के लिए रोक लगा दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कार्रवाई बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई (बीएफआईयू) ने की है.

चिन्मय कृष्ण दास को इस सप्ताह राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन पर और 18 अन्य लोगों पर 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि न्यू मार्केट इलाके में हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय झंडे का अपमान किया गया.

कैसे शुरू हुआ मामला?

चटगांव में ‘सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया. उन पर आरोप है कि उन्होंने पिछले महीने भगवा झंडा फहराने के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया. इसके बाद हिंदू समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बीच दास को मंगलवार को चटगांव की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

अदालत परिसर में दास की पेशी के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें 32 वर्षीय अधिवक्ता सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत हो गई. इस घटना के बाद कट्टरपंथी समूह दास के समर्थकों को अधिवक्ता की मृत्यु के लिए दोषी ठहरा रहे हैं. दूसरी ओर, इस्कॉन और अन्य हिंदू संगठनों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि न्यायालय परिसर में हिंसा में कोई हिंदू शामिल नहीं था. फिलहाल ये मामला बांग्लादेश में धार्मिक और सामाजिक तनाव को और बढ़ा रहा है.

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