बांग्लादेशी भाइयों के आतंकियों से जुड़े होने का शक, इंटरपोल से मांगी जानकारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ एटीएस की गिरफ्त में आए बांग्लादेशी सगे भाइयों के तार आतंकी संगठन से जुड़े होने का संदेह है। दरअसल, शेख इस्माइल, शेख अकबर और शेख साजन के कॉल डिटेल ने कई राज खुले हैं।

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तीनों भाई अक्सर सीरिया, इराक, वियतनाम, इजराइल, मलेशिया, सउदी अरब समेत पाकिस्तान के नंबरों पर आईएमओ एप के जरिए वॉटसएप कॉल पर लंबी बातचीत करते थे। इसके सबूत हाथ लगते ही एटीएस ने इंटरपोल को पत्र लिखकर बातचीत की पूरी जानकारी मांगी है।

एटीएस के सूत्रों ने बताया कि एटीएस के राडार में फरार शेख अली के साथ बांग्लादेशियों के मददगार पांच से अधिक लोग हैं। एटीएस का दावा है कि शेख अली, शेख कबीर के पकड़े जाने से कई राज खुलने की संभावना है।

नहीं खोला मुंह, करते रहे गुमराह

एटीएस ने तीनों बांग्लादेशियों को तीन बार रिमांड पर लेकर पूछताछ की। मगर, किसी ने भी कोई खास जानकारी नहीं दी। बल्कि गुमराह करते रहे। ये किस-किस से बातचीत करते थे, उनके कॉल डिटेल में जिनका नंबर आया है वह किसका है? तीनों किस काम के लिए उनसे संपर्क में थे? क्या उनके रिश्तेदार इन देशों में रहते हैं या कोई और बात है?

अरब देशों में तीनों बांग्लादेशियों की लंबी बातचीत ने एटीएस के संदेह को बढ़ाया है। इन देशों में भारत विरोधी कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं, लिहाजा उनके कनेक्शन को खंगाला जा रहा है।

जेल भेजे गए तीनों भाई

एटीएस की दो दिन की रिमांड पर चल रहे बांग्लादेशी तीन सगे भाई शेख इस्माइल, शेख अकबर और शेख साजन की सोमवार को रिमांड खत्म होने पर कोर्ट में पेश किया गया। न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया।

बांग्लादेशियों को दी पनाह, बनवाए फर्जी दस्तावेज

एटीएस के सूत्रों ने बताया कि फरार शेख अली ने कई बांग्लादेशी घुसपैठिए को रायपुर के अलग-अलग मोहल्लों में किराये का मकान दिलाकर पनाह दी। यहीं नहीं उसने अपने परिचितों के जरिए बांग्लादेशियों की नई पहचान दिलाने का काम भी किया।

आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड, स्कूली प्रमाणपत्र समेत अन्य दस्तावेज फर्जी तरीके से कचहरी चौक स्थित सत्कार कंप्यूटर केंद्र के संचालक मोहम्मद आरिफ से बनवाया था। आरिफ अभी जेल में है। तीनों आरोपितों से जब्त दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

पासपोर्ट-वीजा होगा रद

एटीएस ने तीनों भाइयों का पासपोर्ट और वीजा रद करने के लिए चिट्ठी लिखी है। उनका आधार कार्ड, वोटर आईडी और अंकसूची भी रद करने के लिए भी संबंधित विभागों को लिखा गया है। दरअसल, आरोपितों के सभी दस्तावेज रायपुर के पते पर हैं। उनके पास बांग्लादेश का कुछ भी नहीं है।

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