मध्य प्रदेश के इंदौर में बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) को चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी है। पड़ताल में न केवल कई बांग्लादेशी अवैध तरीके से इंदौर में रहते मिले, बल्कि यह भी पता चला कि ऐसी ही एक महिला का रिश्तेदार तो सेना में शामिल हो गया है। एसआइटी की इस गोपनीय रिपोर्ट के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) सहित अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है।
कई बांग्लादेशी नागरिक रह रहे इंदौर में
कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए एक महिला को डिपोर्ट कर बांग्लादेश भेज दिया गया है। वहीं दो अन्य महिलाओं को हिरासत में लिया है। इन महिलाओं का आपराधिक रिकार्ड है और गैर-कानूनी धंधों में लिप्त पाई गई हैं। दरअसल, पुलिस मुख्यालय से मिली गोपनीय रिपोर्ट के बाद इंटेलिजेंस डीसीपी डॉ. हंसराज ने एसआइटी गठित की थी। जांच के सिलसिले में पिछले माह सात सदस्यीय दल पश्चिम बंगाल गया था। वहां से पता चला कि इंदौर में कई बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं।
सौरभ की बहन प्रभा का एक बेटा सेना में
उन्होंने फर्जी आधार व पैनकार्ड तक बनवा लिए हैं। काकद्वीप (कोलकाता) का सौरभ दास भी उनमें एक है। वर्षों पूर्व घुसपैठ कर भारत आए सौरभ के दादा आज भी पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में रेलवे पटरी के समीप रहते हैं। सौरभ ने इंदौर में घर बना लिया और बांग्लादेशी युवती से शादी भी कर ली। पुलिस ने युवती को शाजापुर से पकड़कर डिपोर्ट कर दिया, पर सौरभ गायब हो गया। इसी जांच में पता चला कि सौरभ की बहन प्रभा का एक बेटा सेना में है।
बंगाल पुलिस ने SIT को पकड़ा, नहीं करने दी जांच
एसीपी जगदीश पाटिल और एसीपी पराग सैनी की अगुवाई में एसआइटी की एक टीम पिछले माह पश्चिम बंगाल पहुंची, तो साउथ 24 परगना एवं नार्थ 24 परगना में रहवासियों ने विरोध किया। एसआइटी को स्थानीय पुलिस ने पकड़ लिया। उन्हें दिनभर थाने में बैठाकर रखा। बंगाल पुलिस ने स्पष्ट कहा कि इस तरह की जांच की अनुमति नहीं है। डीसीपी ने पश्चिम बंगाल के बड़े अफसरों से बात की, तब कहीं एसआइटी के सदस्यों को छोड़ा गया।