शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश की पाकिस्तान परस्ती खुलकर सामने आ रही है. कुछ ही दिन पहले काहिरा में पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ और बांग्लादेश के अंतिरम सरकार चीफ यूनुस के बीच मुलाकात हुई थी. अब बांग्लादेश में पाकिस्तान की ‘म्यूजिक डिप्लोमेसी’ भी देखने को मिली है. भारत में गाना गाकर करोड़ों कमाने वाले पाकिस्तानी सिंगर राहत फतेह अली ने ढाका में कॉन्सर्ट किया है.
राहत फतेह अली खान का हुआ कॉन्सर्ट
ढाका में 21 दिसंबर को मशहूर पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान का कॉन्सर्ट हुआ. यह कार्यक्रम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के अगले दिन हुआ. ‘इकोज ऑफ रेवोल्यूशन’ नाम के इस कॉन्सर्ट ने बांग्लादेश में हसीना सरकार के बाद के युग में भारतीय कलाकारों के बजाय पाकिस्तानी कलाकारों को प्राथमिकता देने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है.
इस बार कॉन्सर्ट में क्या है नया
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्ते तल्ख हैं. ऐसे में यहां पिछले कुछ महीनों से किसी भी भारतीय कलाकार का प्रोग्राम नहीं हुआ है. इसके बजाय बांग्लादेश पाकिस्तानी सिंगर्स और कलाकारों के प्रोग्राम अपने यहां करवा रहा है. ये तब है जब बांग्लादेश में भारतीय गानों की धूम है और खुद पाकिस्तानी सिंगर्स भारतीय गाने ही गा रहे हैं.
क्या बोले राहत फतेह अली…
राहत फतेह अली खान ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस कॉन्सर्ट के बारे में एक वीडियो मैसेज साझा किया था. उन्होंने कहा, ‘मेरे साहसी बंगाली भाइयों और बहनों को सलाम. अस्सलामु अलैकुम. छात्रों के निमंत्रण पर मैं जल्द ही आपके खूबसूरत देश बांग्लादेश आऊंगा और आपके लिए परफॉर्म करूंगा.’
इसलिए किया गया कॉन्सर्ट
राहत फतेह अली खान ने आगे कहा, ‘जुलाई में तख्तापलट के दौरान घायल हुए या अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों की मदद के लिए मैं एक चैरिटी कॉन्सर्ट में परफॉर्म करूंगा. यह कार्यक्रम साहसी छात्रों द्वारा आयोजित किया जा रहा है और इससे होने वाली सारी आय इन परिवारों को दी जाएगी. यह कार्यक्रम ढाका के आर्मी स्टेडियम में आयोजित होगा.”
आतिफ ने भी किया था परफॉर्म
इससे पहले पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम ने भी ढाका में परफॉर्म किया था, जिससे यह साफ हो गया है कि बांग्लादेश के आयोजक अब भारतीय कलाकारों के मुकाबले पाकिस्तानी कलाकारों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं. यह बदलाव हसीना सरकार के बाद बांग्लादेश की बदलती राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति को दर्शाता है.