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साल 1929 में अपने जन्मदिन पर ग़ाज़ीपुर आए थे बापू, आज भी याद करते हैं जिले के लोग…

गाज़ीपुर: आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रही है बात करें गाजीपुर की तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाता गाजीपुर से भी रहा है जब उन्होंने अपने जन्मदिन 2 अक्टूबर 1929 को गाजीपुर के सैदपुर इलाके में आए थे जहां पर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के साथ बैठक की और फिर उन्हें उस वक्त आंदोलन को संचालित करने के लिए ₹500 की भेट दिया गया था.

इस पूरे मामले को लेकर गाजीपुर के साहित्यकार और इतिहासकार उबैदुर रहमान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी वाराणसी आए हुए थे और फिर वहां से नाव के माध्यम से गंगा गोमती के संगम कैथी के पास पहुंचे जहां पर उनका आंदोलनकारी ने उनका स्वागत किया और उस वक्त जौहर अली जो कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने एक बड़ा आयोजन किया जिसमें इलाके के भारी संख्या में लोग शामिल हुए थे जिसमें उन्होंने जंगे आजादी को कैसे जीता जा अपनी बात रखी थी महिलाएं इस आंदोलन में किस तरीके से शामिल हो इस पर भी उन्होंने चर्चा किया था.

इस आयोजन में उन्हें ₹500 की थैली और कुछ जेवरात भेट किया गया था और उसके बाद महात्मा गांधी अपने साथियों के साथ गाजीपुर के गजानंद अग्रवाल से मिलने के लिए चल दिए लेकिन नंदगंज के पास उनकी गाड़ी खराब हो गई. तब पीछे से चल रही घोड़ा गाड़ी में महात्मा गांधी को बैठकर गाजीपुर ले आए और उसके बाद गाजीपुर के आईना कोठी पहुचे. जहां पर स्नान कर निवृत हुए और उसके बाद गाजीपुर के लंका मैदान के लिए चल दिए जहां गांधी जी के सम्मान में बड़ी हुजूम तैयार थी. उनके स्वागत करने के लिए वहीं उन्होंने उस लंका के मैदान में लोगों से बाल विवाह पर रोक लगाने और एक उम्र हो जाने पर शादी की बात कही थी औरतों की जंगे आजादी में भागीदारी की बात कही क्योंकि औरतें ही देश के बालकों और नौनिहालों को तैयार कर रही थी.

 

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