बरेली: अधिवक्ता बोले नहीं चाहिए काला कानून, 25 को होगा आंदोलन, जानें मामला

बरेली: केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा अधिवक्ता एक्ट संशोधन बिल 2025 लागू करने जा रही है. इस बिल के लागू होने से पहले ही वकीलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बार एसोसिएशन ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा, और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वकीलों ने नारे लगाए कि वकील विरोधी है भारत सरकार.

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अधिवक्ता एक्ट संशोधन बिल 2025 का विरोध

सभी अधिवक्ता एक जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां बार अध्यक्ष ने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा. अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता एक्ट संशोधन बिल 2025 को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों ने सरकार को चेतावनी दी है कि 25 फरवरी को पूरे देश में धरना प्रदर्शन होगा, और सरकार ने अगर नहीं सुनी तो फिर आंदोलन उग्र होगा.

वकीलों ने कहा ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था, ये संविधान की हत्या

यूपी बार काउंसिल के सदस्य शिरीष मेहरोत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार जो कानून लाने जा रही है। ये एक काला कानून है, ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था। ये तो बाबा साहब द्वारा बनाए गए संविधान की हत्या है। उन्होंने कहा कि हमेशा दो पक्ष होते है जिसमें एक की जीतता है तो एक हारता है। ऐसे में हारने वाले वकील को 3 लाख रुपए देने पड़ सकते हैहै. इसके अलावा स्ट्राइक पर भी रोक लगा दी गई है.

अधिवक्ताओं ने रखी ये मांगे

अधिवक्ताओं ने मांग कि है, अधिवक्ता व उनके परिवार के लिए एडवोकेट प्राटेक्शन एक्ट का प्रावधान किया जाए. परिषदों में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त कोई समाहित न किया जाये, व उनके लोक तांत्रिक स्वरूप को यथावत रखा जाये। परिषदों के सदस्यो या अस्तित्व पर सुझाये गये संशोधनों को तुरन्त समाप्त किया जाये. हम पूरे प्रदेश के अधिवक्ता मांग करते है कि, प्रदेश के अधिवक्ताओं का 10 लाख का मेडिक्लेम व किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 10 लाख की बीना राशि प्रदान की जाये। पंजीकरण के समय प्रत्येक अधिवक्ता से लिये जा रहे रूपये 500 के स्टाम्प की राशि प्रादेशिक परिषदो स्थानीय बार को वापिस की जाये व राज्य सरकार द्वारा विधि एक, स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त धनराशि का 2 प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाये.

नियम बनाने का अधिकार पूर्व में जो एडवोकेटस् एक्ट में प्राविधानित था, उसको उसी प्रकार रखा जाये। केन्द्र सरकार द्वारा रेगूलेशन बनाने की जो बाते कही गयी है, उसे तुरन्त समाप्त किया जाये, वकीलों का कहना है कि, एडवोकेट अमेंडमेन्ट बिल 2025 को यदि वापिस नहीं लिया गया तो सभी अधिवक्ता अपनी बार काउंसिल बड़ा आंदोलन करेंगे.

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