बस्ती: भाजपा ने फिर जताया विवेकानंद मिश्र पर भरोसा, सौंपी बस्ती जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी

बस्ती: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर विवेकानंद मिश्र पर भरोसा जताते हुए उन्हें जिलाध्यक्ष पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. उनके वर्षों के संगठनात्मक अनुभव, समर्पण और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए पार्टी ने यह निर्णय लिया। इससे पहले, लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले, भाजपा ने महेश शुक्ल को हटाकर विवेकानंद मिश्र को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया था। चुनाव अधिकारी शंकर लाल लोधी, पर्वेक्षक सुरेन्द्र नारायण ओढ़े ने भाजपा कार्यालय पर 2 बजे सूची मोबाईल पर आने बाद विवेकानन्द मिश्र के नाम कि घोषणा किया.

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छात्र जीवन से ही संगठन से जुड़े विवेकानंद मिश्र का राजनीतिक सफर छात्र जीवन से ही शुरू हो गया था। वर्ष 1998 में उन्होंने भाजपा के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़कर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। संगठन में उनकी सक्रियता और कार्यकुशलता के चलते 1999-2000 तक उन्हें प्रयागराज विश्वविद्यालय इकाई का प्रमुख बनाया गया। इसके बाद 2003 तक वे एबीवीपी के महानगर सहमंत्री और महानगर मंत्री के रूप में कार्यरत रहे.

विभिन्न दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन

संगठन में उनकी बढ़ती भूमिका के कारण 2006 से 2010 तक उन्हें बस्ती जिले का प्रमुख बनाया गया। इसके बाद 2010 से 2012 तक वे भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के बस्ती, सिद्धार्थनगर और संत कबीर नगर के विभाग संयोजक रहे। इसी दौरान वे सिद्धार्थनगर जिले के प्रभारी भी बनाए गए.

भाजपा संगठन में उनकी सक्रियता को देखते हुए 2012 में उन्हें जिला सदस्यता प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 2013 से 2016 तक वे भाजपा के जिला उपाध्यक्ष रहे। उनके कार्यों से प्रभावित होकर पार्टी ने 2016 से 2023 तक उन्हें दो बार जिला महामंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया.

भाजपा के संगठन पर्व में दोबारा जताया भरोसाभा

रतीय जनता पार्टी हर छह वर्ष पर अपने संगठनात्मक ढांचे को नए सिरे से पुनर्गठित करती है, जिसे “संगठन पर्व” के रूप में मनाया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत बूथ से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नए नेतृत्व का चयन किया जाता है। इस संगठनात्मक चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर विवेकानंद मिश्र पर विश्वास जताते हुए उन्हें पुनः जिलाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है.

उनके नेतृत्व में पार्टी को संगठनात्मक रूप से और अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है। भाजपा कार्यकर्ताओं में उनके कुशल नेतृत्व को लेकर विशेष उत्साह है, और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उनके अनुभव और रणनीतिक कौशल पर पूर्ण विश्वास जता रहा है.

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