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डॉलर हो या पाउंड, Gift City में खुल जाएगा अकाउंट, RBI के इस बड़े फैसले के बारे में जानिए

विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग GIFT सिटी में फॉरेन करेंसी अकाउंट्स खोल सकते हैं और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरेलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत अलग-अलग कामों के लिए पैसे भेज सकते हैं. इस स्कीम के तहत व्यक्ति सालाना 250,000 डॉलर तक विदेश भेज सकते हैं. इससे पहले, इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स (IFSC) में LRS ट्रांसफर, भारतीय कंपनियों को छोड़कर IFSCs के अंतर्गत आने वाली सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करने और विदेशी संस्थानों को एजुकेशन फीस का पेमेंट करने तक ही सीमित था.

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10 जुलाई को जारी एक नोटिफिकेशन में, आरबीआई ने कहा था कि रिव्यू करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि ऑथोराइज व्यक्ति LRS के तहत IFSCs को निर्धारित कामों के लिए रेमिटेंस की सुविधा दे सकते हैं. ऑथोराइज व्यक्ति वे लोग हैं जिन्हें आरबीआई की ओर से फॉरेन करेंसी सर्विसेज प्रदान करने के लिए ऑथोराइज किया गया है, जैसे बैंक और एफएक्स डीलर. ऐसे लेनदेन बैंकिंग सिस्टम के माध्यम से किए जाएंगे.

IFSCs के अंतर्गत इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी एक्ट, 2019 के अनुसार फाइनेंशियल सर्विसेज या फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का लाभ उठाना और IFSCs के अंडर आने वाले FCA के माध्यम से किसी भी अन्य विदेशी ज्यूरिडिक्शन (IFSCs के अलावा) में ऑल करंट या कैपिटल अकाउंट ट्रांजैक्शंस की इजाजत है. इन निर्धारित कामों के लिए, निवासी व्यक्ति IFSCs में फॉरेन करेंसी अकाउंट (FCA) खोल सकते हैं.”

IFSC फॉरेन करेंसी बिजनेस के लिए एक ज्यूरिडिक्शन के रूप में काम करता है. इसे रेग्युलेटरी कामों के लिए एक इंटरनेशनल फाइनेंशियल हब माना जाता है. आरबीआई ने LRS रेमिटेंस के दायरे को बढ़ाकर डिपॉजिट्स, प्रॉपर्टी खरीद, इक्विटी और डेट इन्वेस्टमेंट, गिफ्ट्स, डोनेशंस, ट्रेवल, रिश्तेदारों का मेंटेनेंस, मेडिकल ट्रीटमेंट और विदेश में स्टडी को शामिल किया है. यह बदलाव भारतीय निवासियों को GIFT IFSC में डॉलर में फिक्स्ड डिपॉजिट् अकाउंट्स खोलने की इजाजत देता है, जो महंगाई और करेंसी डेप्रिसिएशन के खिलाफ प्रोटेक्शन प्रदान करता है.

 

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