छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में फूड इंस्पेक्टर, हॉस्टल अधीक्षक और पटवारी जैसे सरकारी पदों पर नौकरी लगाने के नाम पर 43 लाख रुपए ठगी करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस केस में पैसे लेने वालों के साथ ही देने वाले बेरोजगारों के पिता समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस अफसरों का मानना है कि आरोपियों को पैसे देने वाले पिता ने शासकीय नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया का पालन न कर नियम विपरीत बेईमानी करते हुए नौकरी के लालच में आकर आरोपियों को 43 लाख रुपए देकर शासन के साथ छल किया है। पूरा मामला तखतपुर थाना क्षेत्र का है।
दरअसल, उसलापुर नेचर सिटी निवासी सूर्यकांत जायसवाल (55) के दो बेटे और एक बेटी हैं। तखपुर क्षेत्र के निगारबंद निवासी विष्णु प्रसाद राजपूत (67) के साथ उनका पुराना जान-पहचान है। उनके दोनों बेटे और बेटी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान विष्णु राजपूत ने उन्हें बताया कि तारबाहर क्षेत्र के तितली चौक रेलवे हाउस के पास रहने वाला जावेद खान मंत्रालय में पदस्थ है। उसकी अच्छी पहुंच है और वो कई लोगों को सरकारी नौकरी लगाने का दावा करता है। उसके कहने पर सूर्यकांत अपने बेटों व बेटी की सरकारी नौकरी लगवाने के लालच में आ गया। जिसके बाद उन्होंने जावेद खान से मुलाकात की।
पति-पत्नी ने मिलकर वसूले 43 लाख रुपए जावेद ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वह अब तक कई लोगों को सरकारी नौकरी दिला चुका है। उसने दावा कि मंत्रालय में सभी विभागों के अफसरों तक उसकी पहुंच है। वो फूड इंस्पेक्टर, हॉस्टल अधीक्षक और पटवारी जैसे सरकारी पदों पर नौकरी लगवा सकता है। इस पर सूर्यकांत ने अपने बच्चों को नौकरी लगवाने के लिए सौदा तय किया। जिसके बाद जावेद खान और उसकी पत्नी सीमा खान, अनीश राजपूत, विष्णु राजपूत को लेकर तखतपुर में मिले। जहां फरवरी 2022 से जून 2023 के बीच अलग-अलग किस्तों में कुल 43 लाख रुपए वसूल लिए।
गिरोह चलाने की जानकारी मिली, तब की शिकायत इस बीच सूर्यकांत दो साल तक अपने बच्चों के सरकारी नौकरी मिलने का इंतजार करता रहा। इसके बाद भी किसी की नौकरी नहीं लगी। इस बीच पता चला कि जावेद खान इस तरह से कई युवाओं को ठगी का शिकार बना चुका है और लाखों रुपए वसूल लिया है। तब परेशान होकर सूर्यकांत जायसवाल ने मामले की शिकायत एसएसपी रजनेश सिंह से की।
एसडीओपी ने जांच के बाद उसे ही बना दिया आरोपी एसएसपी रजनेश सिंह ने कोटा एसडीओपी को जांच के निर्देश दिए। जांच के दौरान उन्होंने ठगी करने वाले गैंग के साथ ही उल्टा शिकायकर्ता सूर्यकांत जायसवाल को भी आरोपी बना दिया। जांच के बाद एसडीओपी भारती मरकाम ने दावा किया कि शासकीय भर्ती के लिए तय प्रक्रिया का पालन न कर नियम विपरीत बेईमानी करते हुए नौकरी के लालच में आरोपियों को 43 लाख रुपए देकर शासन के साथ छल किया गया है। इतना ही नहीं उन प्रतिभागियों से भी छल किया गया है जो नियम के अनुसार परीक्षाओं मे शामिल होकर अपनी योग्यता से चयनित होते हैं। पुलिस ने बेरोजगार युवक-युवती के पिता सूर्यकांत जायसवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
सरकारी नौकरी दिलाने वालों का है गैंग बताया जा रहा है कि जावेद खान ने खुद को मंत्रालय में पदस्थ होने का दावा किया। जिसके बाद उसने बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी लगाने का झांसा दिया। बेरोजगार युवक उसके झांसे में आकर फंस गए और अलग-अलग किश्तों में उसे लाखों रुपए दिए। पैसे देने वालों में अनिश राजपूत भी शामिल है। जावेद खान, उसकी पत्नी सहित कई अन्य लोग इस गैंग में शामिल हैं, जिन्होंने बेरोजगार युवाओं को नौकरी लगाने के नाम पर पैसे वसूले। सिविल लाइन के ऐसे ही मामले में जावेद खान पर केस दर्ज कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा है। वो अभी जेल में बंद है।
बिलासपुर समेत कई जिलों के बेरोजगारों को बनाया शिकार आरोपी जावेद खान ने बिलासपुर जिले के साथ ही अन्य जिले बेमेतरा, दुर्ग, रायपुर, बलौदाबाजार आदि के युवाओं से भी ठगी की है। उसने सभी पीड़ितों से शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, फोटो और कोरे कागज पर हस्ताक्षर लिए। जिसके बाद उनको सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर पैसों की वसूली की। अब उसके खिलाफ शिकायत करने वाले बेरोजगार युवाओं व उनके रिश्तेदारों को पुलिस आरोपी बना रही है।
पुलिस की कार्रवाई के डर से सामने नहीं आएंगे बेरोजगार हाईकोर्ट के एडवोकेट समीर सिंह का कहना है कि यह सच है कि कानून में सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर पैसे लेना और देना अपराध है। ठीक उसी तरह जैसे किसी भी काम के लिए सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अवैध तरीके से पैसा देना अपराधिक श्रेणी में आता है। इसका मतलब यह नहीं कि पुलिस पैसे मांगने वालों के साथ ही पैसे देने वाले को भी आरोपी बना दे। अगर, पुलिस इस तरह से शिकायतकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी, तो जालसाजी करने वालों के खिलाफ शिकायत करने वाले सामने नहीं आएंगे, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, पैसे लेने वाले बेखौफ होकर वसूली करेंगे।