बहरोड़ केमिकल हादसा: वाल्मीकि सेना के संघर्ष का असर, कमल कांत वाल्मीकि के परिवार को मिला न्याय…कंपनी देगी मुआवजा, नौकरी और इलाज का खर्च

बहरोड़: जिले के धनुका कंपनी केसवाना में ड्यूटी के दौरान हुए हादसे में जान गंवाने वाले कमल कांत वाल्मीकि को आखिरकार इंसाफ मिल गया है. वाल्मीकि सेना के अथक प्रयासों और संघर्ष के बाद कंपनी प्रबंधन ने कमल कांत की धर्मपत्नी को नौकरी देने, और 22 लख रुपए का मुआवजा और उनके 8 वर्षीय पुत्र जो कैंसर से पीड़ित हैं उनके पूरे इलाज का खर्च उठाने और आर्थिक सहायता प्रदान करने का फैसला लिया है.

7 सितंबर को ऑन ड्यूटी के समय कमल कांत वाल्मीकि केमिकल टैंक में गिरने से पूरी तरह झुलस गए थे. नीमस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी. इस घटना से पूरा इलाका गम और गुस्से में था. लेकिन वाल्मीकि सेना ने ठान लिया था कि जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

वाल्मीकि सेना प्रमुख अनिल वाल्मीकि ने बताया कि “आज हमारी लड़ाई जीत में बदली है. कमल कांत भाई को न्याय मिला है और आर्थिक सहायता मिलना हमारे लिए बड़ी बात है. यह इंसाफ पूरी वाल्मीकि समाज की जीत है”. इस संघर्ष में अनिल वाल्मीकि (वाल्मीकि सेना प्रमुख), चोखराम वाल्मीकि, मनोज ढिका पार्षद, प्रदीप वाल्मीकि, साहिल वाल्मीकि, शेरू वाल्मीकि, लल्लू राम हरसोरा (पूर्व जीएम), संजय सोडास, सोनू गंडाला, राहुल, संजय और गोपाल (कोटपुतली) जैसे कई प्रमुख लोग मौजूद रहे.

इन सभी ने कंपनी प्रबंधन से लगातार बातचीत की और दबाव बनाया, जिसके बाद प्रबंधन को परिवार की सभी मांगें माननी पड़ीं.”मृत्यु कमल कांत के परिवार के लोगों ने कहा”हम वाल्मीकि सेना और सभी साथियों के आभारी हैं.  आज हमें जो इंसाफ मिला है, वह हमारे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करेगा.”कमल कांत की शहादत ने पूरे समाज को एकजुट कर दिया. यह जीत सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि हर मजदूर की सुरक्षा और सम्मान की जीत है. “

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