भारत में आतंक पैदा करने का सबसे अच्छा तरीका संसद को बाधित करना है’, संसद सुरक्षा चूक मामले पर दिल्ली HC की टिप्पणी 

नई दिल्ली: संसद सुरक्षा चूक मामले के आरोपी मनोरंजन डी. की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि “भारत में आतंक पैदा करने का सबसे अच्छा तरीका संसद को बाधित करना है, आपने संसद को बाधित किया.”अदालत ने इसे गंभीर मामला बताया. ये टिप्पणी न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की खंडपीठ ने मनोरंजन के वकील की दलील के जवाब में दी.

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संसद सुरक्षा भंग मामले में आरोपी मनोरंजन डी. की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि संसद के कामकाज में बाधा डालने का कोई भी प्रयास एक बेहद चिंताजनक कृत्य माना जा सकता है, जिसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं. न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की खंडपीठ ने मनोरंजन के वकील की दलील के जवाब में यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल द्वारा गैर-विषैले धुएं के कनस्तरों और नारों का इस्तेमाल एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन था जिसका उद्देश्य बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उजागरकरना था.

क्या है मामला

यह उल्लंघन दिसंबर 2023 को हुआ, जब मनोरंजन और सागर शर्मा एक लाइव सत्र के दौरान लोकसभा कक्ष में घुस गए, जबकि नीलम आजाद और अमोल शिंदे बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. चारों को रंगीन धुएं के उपकरणों का उपयोग करके संसद की सुरक्षा में सेंधमारी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने नीलम आजाद और महेश कुमावत को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदारों की ज़मानत दी. शर्तों में मीडिया से संपर्क पर प्रतिबंध, हफ़्ते में तीन बार पुलिस थाने का अनिवार्य दौरा और दिल्ली छोड़ने पर प्रतिबंध शामिल हैं.

दिल्ली पुलिस ने ज़मानत का विरोध करते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत सबूत पेश किए. उन्होंने तर्क दिया कि अभियुक्तों के फरार होने, गवाहों को प्रभावित करने और अपने प्रभाव के कारण जांच में बाधा डालने का ख़तरा है. बचाव पक्ष ने यूएपीए के इस्तेमाल की आलोचना की और इसे ज़रूरत से ज़्यादा और असहमति को दबाने का प्रयास बताया. संसद के अंदर अभियुक्तों पर हमले के आरोप भी सामने आए.

7 जून, 2024 को, दिल्ली पुलिस ने छह व्यक्तियों के ख़िलाफ़ 1,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी. जिसमें 2001 के संसद हमले की बरसी पर हुए उल्लंघन में उनकी भूमिका का विवरण दिया गया था. तीस हज़ारी समीक्षा समिति के निष्कर्षों के आधार पर, उपराज्यपाल ने यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत अभियोजन की अनुमति प्रदान की.

14 दिसंबर, 2023 को दर्ज की गई FIR में आईपीसी की धारा 186, 353, 452, 153, 34, 120बी और यूएपीए की धाराओं के तहत आरोप शामिल थे. बाद में जांच विशेष प्रकोष्ठ (SPECIAL CELL ) की प्रति-खुफिया इकाई (Counter-Intelligence Unit) को सौंप दी गई.

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