अयोध्या: राम मंदिर उद्घाटन के बाद से रामनगरी अयोध्या लगातार आध्यात्मिक विकास की राह पर अग्रसर है. योगी सरकार की पहल से एक और धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नया जीवन मिलने जा रहा है. राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ के बाद अब अयोध्या को “भरत पथ” का तोहफा मिलने जा रहा है. यह पथ न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी नई उड़ान देगा.
भरत पथ की अनुमानित लागत लगभग 900 करोड़ रुपये है और इसकी लंबाई करीब 20 किलोमीटर होगी। यह पथ विद्याकुंड से शुरू होकर दर्शननगर होते हुए भरतकुंड तक जाएगा। इस पथ के निर्माण की घोषणा मुख्यमंत्री कार्यालय, उत्तर प्रदेश की ओर से की गई है और कार्य जल्द प्रारंभ होने की संभावना है.
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
भरत पथ का नाम प्रभु श्रीराम के अनुज भरत के नाम पर रखा गया है, जिनकी रामकथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भरतकुंड वही स्थान है जहाँ भरत ने श्रीराम की अनुपस्थिति में 14 वर्षों तक तपस्या की थी। यही नहीं, राम के अयोध्या लौटने के पश्चात पिता दशरथ का पिंडदान भी यहीं किया गया था। यह स्थल अयोध्या की धार्मिक चेतना और आस्था का प्रमुख केंद्र है.
भरतकुंड में एक प्राचीन सरोवर भी स्थित है, जो इसकी पौराणिकता और आध्यात्मिक महत्व को और भी गहराई देता है. प्रयागराज और पूर्वांचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। ऐसे में भरत पथ के निर्माण से न केवल श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान
भरत पथ परियोजना अयोध्या की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। इस मार्ग के निर्माण से क्षेत्र में सड़क यातायात व्यवस्था सुधरेगी, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी और पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। सरकार की यह पहल न केवल एक धार्मिक पथ का निर्माण है, बल्कि यह एक आस्था, श्रद्धा और इतिहास को जोड़ने वाला पुल भी है.
योगी सरकार की इस योजना से यह स्पष्ट है कि अयोध्या को विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. भरत पथ इसका अगला मजबूत कदम साबित हो सकता है.
रामनगरी अयोध्या अब सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बनकर उभर रही है.