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भरतपुर : यूट्रीकुलेरिया जो एक दुर्लभ मांसाहारी पौधा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मिलने पर बना चर्चा का विषय

भरतपुर : पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के पेड़ पौधे पाए जाते हैं.लेकिन इन्हीं में से कुछ ऐसे पेड़ पौधे है जिनके बारे में सुनकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.एक ऐसा ही पौधा है यूट्रीकुलेरिया जो एक दुर्लभ मांसाहारी पौधा है.इसे ब्लैडरवार्ट के नाम से भी जाना जाता है. विशेष तौर पर यह पौधा मेघालय, दार्जिलिंग और उत्तराखंड में पाया जाता है. लेकिन कई वर्षों के बाद यह पौधा राजस्थान के भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मिलने पर चर्चा का विषय बना हुआ है.उद्यान में इस पौधे का मिलना पर्यावरण के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.

 

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि उद्यान में जो मांसाहारी पौधा मिला है उसका नाम यूट्रीकुलेरिया है। इसमें पीला फूल आता है और यह दलदली, नमी भूमि एवं पानी में उगता है. इसकी खासियत है कि यह ऊपर तैरता हुआ दिखाई देता है. इसके चंगुल में मुख्य रूप से प्रोटोजोआ, कीड़े, लार्वा, मच्छर और टैडपोल जैसे जीव आते है उनका शिकार करता है.यह छोटे जीवों को पकड़ने के लिए मूत्राशय जैसे जाल (ब्लैडर) का इस्तेमाल करता है. ब्लैडर के अंदर आने के बाद जीव फंस जाता है और वहीं मर जाता है.अधिकांश पौधे सूर्य से पोषण प्राप्त करते है लेकिन यह पौधा जीवों से अपना पोषण प्राप्त करता है.

 

 

नाविक गजेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार बारिश अच्छी हुई है.जिसके चलते पांचना बांध से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए पानी दिया गया है.जिसके चलते लंबे समय बाद यह पौधा फिर नजर आया है. यूट्रीकुलेरिया जैसे मांसाहारी पौधे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.उत्तराखंड ,मेघालय और दार्जिलिंग के कुछ हिस्सों इसकी उपस्थिति देखी गई थी. अब केवलादेव उद्यान में इसकी उपस्थिति पर्यावरण के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.

इस उद्यान परिसर में आयुर्वेद विभाग के 40 से अधिक चिकित्सकों के दल ने 200 प्रजाति से भी अधिक औषधीय पौधों को चिन्हित किया हैं. यूट्रीकुलेरिया के फूलों को तेल में गर्म कर ठंडा करने पर शरीर में लगाने से मच्छर एवं अन्य छोटे जीवों नहीं काटते है.

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