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भरतपुर : पढ़ाई के साथ बागवानी कर रहे है युवा किसान… सालाना कमाई ढाई करोड़ रुपए, कम लागत में ज्यादा मुनाफा…

भरतपुर : खेती में युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है. कई युवा पढ़ाई के साथ खेती कर सफलता की कहानी लिख रहे है.एक ऐसा ही गांव है राजस्थान के भरतपुर जिले में चिकसाना.जहां के 40% युवा किसान पढ़ाई के साथ साथ बेर की बागबानी कर किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं और लाखों रुपए कमा रहे है.यह ऐसी खेती है जिससे कम लागत में दोगुना मुनाफा कमाया जा सकता है.हालांकि इस गांव में 60% लोग बेर की बागबानी करते है लेकिन इसमें भी युवा किसानों की हिस्सेदारी अधिक है.इसमें पौष्टिक तत्वों की भरमार होने के साथ ही कई बीमारियों में फायदेमंद है. यहां के किस आगरा की मंडी में बेर की सप्लाई करते हैं वहां से देश के विभिन्न राज्यों में जाता है.

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युवा किसान बलदेव सिंह ने बताया कि सन 1995 में उनके गांव में बेर की बागबानी की शुरुआत हुई थी.अब स्थिति यह है कि गांव 600 बीघा भूमि में सरसों और गेहूं की खेती की बजाय बेर की बागबानी की जा रही है. इस बेर की बागबानी करने में युवा किसान ज्यादा भाग ले रहे है.में भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं साथ बेर की बागबानी करीब 20 बीघा भूमि में की है.जिससे कम लागत में दुगना मुनाफा हो जाता है.

युवा किसान सोनवीर सिंह चौधरी ने बताया कि 2000 में उसके परिजनों ने बेर की बागवानी 24 बीघा भूमि में शुरुआत की थी.हमारे यहां सेब बेर होता है.एक बार पेड़ लगाने पर तीन साल बाद फल देना शुरू कर देता था.उसके बाद प्रति वर्ष फल आते है.इस पर नवम्बर माह में फल आना शुरू हो जाता है और जनवरी में पककर तैयार हो जाता है जो मार्च तक चलता है.

एक बीघा भूमि में 40 बेर के पेड़ होते है और एक पेड़ से 50 किलो से अधिक पैदावार होती है.मार्केट में इसका भाव 25 से 30 रहता है लगभग किसानों को एक बीघा में लाखों रुपए की आमदनी होती है. गांव में करीब 600 बीघा भूमि में बेर की बागवानी हो रही है जिसमें प्रत्येक किसान लाखों रुपए कमाने के साथ पूरे गांव के किसानों की आमदनी ढाई करोड़ रुपए हैं.अन्य किसानों को भी पारंपरिक खेती के साथ बागवानी करनी चाहिए जिससे कम लागत में दुगना मुनाफा होता है. यहां के किसान आगरा की मंडी में बेर को ले जाते हैं और वहां से देश के विभिन्न कोनों में यह बेर जाता है.

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