भिलाई के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में गर्भवती महिला के बच्चे की गर्भ में ही मौत हो गई। डॉक्टर ने प्रसूता को 24 घंटे से अधिक समय तक अस्पताल में रखा। जब केस बिगड़ने लगा, तो उसे दुर्ग जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां डॉक्टरों ने बताया कि, बच्चे की गर्भ में मौत हो गई है।
जिसके बाद शनिवार को परिजनों ने सुपेला अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीयम सिंह से शिकायत कर न्याय की मांग की है। परिजनों का आरोप है कि, सुपेला अस्पताल की महिला डॉक्टर अगर सही समय पर प्रसूता को जिला अस्पताल रेफर करते तो बच्चे की जान बच जाती।
मितानिन उर्वशी देवांगन ने बताया कि, 17 फरवरी को पल्लवी यादव को प्रसव पीड़ा हुई थी। जब उसने देखा कि बच्चा होने का समय नजदीक है, तो उसने परिजनों को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला लेकर जाने की सलाह दी।
मितानिन बोली- लेडी डॉक्टर ने बरती लापरवाही
मितानिन ने बताया कि, इस पूरे केस में अस्पताल की लेडी डॉक्टर की लापरवाही है। उसने बताया कि, प्रसूता को इतनी अधिक पीड़ा हो रही थी कि, वो पूरी रात अस्पताल में चलती रही। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे समझाया और कहा कि, नार्मल डिलीवरी हो जाएगी। इसके बाद सुबह उसका चेकअप नहीं किया।
अगले दिन शाम को जब उसकी तबीयत अधिक खराब हुई तो अस्पताल के स्टाफ ने कहा कि, प्रसूता को जिला अस्पताल ले जाओ। यहां रात में सीजर ऑपरेशन नहीं होता। इसके बाद जिला अस्पताल ले गए, तो वहां डॉक्टरों ने शिफ्ट चेंज होने की बात कहकर काफी देरी की। रात में देखने पर बच्चे को मरा बता दिया गया। इसके बाद सीजर से साढ़े तीन किलो का बच्चा निकाला गया।
अस्पताल अधीक्षक ने परिजनों के आरोप को बताया गलत
सुपेला अस्पताल के प्रभारी पीयम सिंह ने परिजनों के आरोप को गलत बताया। उन्होंने कहा कि, प्रसूता महिला डॉक्टर को जांच करने ही नहीं दे रही थी। इसके बाद भी डॉक्टरों ने उसे समझाकर उसकी जांच की। जब पता चला कि, बच्चे की धड़कन कम हो गई है, तो तत्काल जिला अस्पताल भेजा गया। इसमें कही भी कोई लापरवाही नहीं की गई।