बसंत पंचमी पर हुआ भोलेनाथ का तिलकोत्सव, अब बारात लेकर शिव आएंगे… इस मंदिर से मिला आमंत्रण!

झारखंड के देवघर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बाबा बैद्यनाथ का तिलक किया गया. इस दौरान सिलकोलस्य पर विधिलांचल सहित विभिन्न जगहों से भक्त पहुंचे थे. बाबा को तिलक चढ़ाने के लिए मिथिलांचल से सवा लाख तिलकहरुए बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव करने पहुंचे थे. परंपरागत रीति-रिवाज के अनुसार भोग, धरा, गुलाल और धान की बालियों से बाबा की पूजा की गई.

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बसंत पंचमी में सुबह से ही पूरा मंदिर परिसर हर हो भोला और बम बम महादेव, हर हर महादेव से गुंजयमान होता रहा. इस दौरान बाबा के दर्शन के तीन किमी से ज्यादा लंबी कतार लगी हुई थी. बाबा के दर्शन के लिए जल अर्पण करने वाले भक्तों की आम कतार मानसरोवर ओवरब्रिज तक पहुंच गई थी. हालांकि शीघ्रदर्शनम पास से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने जल अर्पण किया.

सैकड़ों की संख्या में हुआ मुंडन और उपनयन संस्कार

श्रृंगार पूजा के पहले बाबा पर फुलेल लगाने के बाद लक्ष्मी नारायण मंदिर में महंत सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा, मंदिर स्टेट पुजारी श्रीनाथ मिश्र बाबा के तिलक का अनुष्ठान संपन्न कराएंगे. तिलक चढ़ाने के बाद मिथिलावासियों ने होली खेली. वसंत पंचमी से ही मिथिला में होली की शुरुआत हो जाती है. इस दौरान सैकड़ों की संख्या मुंडन और उपनयन संस्कार संपन्न हुए.

कब होगा शिव-पार्वती का विवाह?

मां सरस्वती मंदिर में भी भक्तों की लंबी कतार लगी रही. मंदिर में छोटे बच्चों की पढ़ाई शुरू कराने के लिए पूजा कराई गई. उनको खड़िया (चॉक) दिलाई गई. बाबा नगरी में बच्चों की शिक्षा शुरू करने से पहले वसंत पंचमी के दिन उन्हें खड़िया दिलाई जाती है. इसके बाद अब 25 दिन बाद महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाएगा.

कांवर में जल उठाकर आते हैं लोग

ज्यादातर लोग बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा से कांवर में जल उठाकर लंबी यात्रा पैदल तय करते हुए यहां पहुंचते हैं. ऐसे में जगह-जगह कुछ कांवर रखने के कारण अन्य भक्तों को एक मंदिर से दूसरे मंदिर में जाने में थेड़ी परेशानी हुई. ऐसा कहा जाता है कि कांवर को लांघकर नहीं जाना चाहिए.

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