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अमेरिकी संसद में गूंजा भोपाल गैस कांड, पीड़ितों को मुआवजे के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव

भोपाल : भोपाल में 40 साल पहले 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ. इसमें करीब 22 हजार लोगों की मौत हुई थी. हादसे में करीब पौने 6 लाख लोग गंभीर रूप से बीमार हुए. लेकिन दुखद ये है कि विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के लिए जिम्मेदार डाउ केमिकल और यूनियन कार्बाइड के मालिक और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. गैस पीड़ितों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पीड़ित परिवारों को मामूली मुआवजा दे दिया गया.

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अमेरिकी संसद में राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरुकता दिवस प्रस्ताव

अमेरिकी संसद में भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी पर 3 दिसंबर को राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरुकता दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पास किया गया है. इस प्रस्ताव को सीनेटर जेफ मार्कले, प्रतिनिधि सभा सदस्य प्रमिला जयपाल और रशीदा तालेब ने पेश किया. जेफ मार्कले ने कहा “रासायनिक आपदाएं हमेशा सुरक्षा की बजाय ज्यादा मुनाफे को प्राथमिकता देने का नतीजा होती हैं. भोपाल गैस त्रासदी ने लाखों जिंदगियां तबाह कर दीं. आज भी लोगों पर इसका बुरा असर पड़ा रहा है.” बता दें कि अब तक इस प्रस्ताव में 8 सांसद हस्ताक्षर कर चुके हैं.

प्रस्ताव में गैस पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग

अमेरिकी संसद में पेश किए गए प्रस्ताव में भोपाल गैस हादसे के लिए डाउ केमिकल और यूनियन कार्बाइड को जिम्मेदार माना गया है. प्रमिला जयपाल ने कहा “डाउ केमिकल को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए. लेकिन जिम्मेदार लोग पल्ला झाड़ रहे हैं.” बता दें कि अब तक भारत और अमेरिकी सरकार के बीच प्रत्यर्पण संधि के लिए किए गए प्रयास भी विफल रहे. लेकिन अब अमेरिकी सांसद में प्रस्ताव पेश होने के कारण एक बार फिर गैस पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जागी है.

अमेरिकी सांसदों ने क्यों किया डाउ केमिकल का विरोध

दरअसल, भोपाल गैस पीड़ितों के लिए भोपाल में काम कर रही रचना ढींगरा और दो अन्य गैस पीड़ित महिलाएं इसी साल अगस्त में 40 दिनों की अमेरिका यात्रा पर गई थी. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की थी. यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को भोपाल गैस त्रासदी के बारे में बताया और उन्हें इसके लिए कैंपेन चलाने के लिए प्रोत्साहित किया. रचना ढींगरा ने बताया “अमेरिका में प्रमिला जयपाल और रसीदा तालेब के राज्यों में भी यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल जैसे कारखाने हैं. इसलिए उन्होंने भी भोपाल गैस त्रासदी को लेकर आवाज बुलंद करने का भरोसा जताया था.”

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