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बीएचयू के विधि संकाय द्वारा “नए आपराधिक कानून” पर हुई चर्चा, क्या है नए आपराधिक कानून?

संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) के सहयोग से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित “नए आपराधिक कानून” पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई आयोजित… 

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आपको बता दें कि पंडित मदन मोहन मलवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ चर्चा शुरू हुई, प्रो. सी.पी. उपाध्याय, प्रमुख एवं डीन, विधि संकाय, बी.एच.यू. ने समारोह की अध्यक्षता की, डॉ. सुरेंद्र मेहरा, सह आयोजन सचिव ने कार्यशाला का विषय प्रस्तुत किया, डॉ. सीमा सिंह कौल, निदेशक आईसीपीएस, समारोह की मुख्य अतिथि ने मुख्य रूप से भाषण दिया.

प्रो. सी. पी. उपाध्याय, प्रमुख और डीन, विधि संकाय, बी.एच.यू. ने दोनों संस्थानों को लाभान्वित करने वाली विभिन्न शोध परियोजनाओं, सेमिनारों और अन्य शैक्षणिक सहयोगों पर भविष्य के सहयोग के लिए एमओयू का आदान-प्रदान किया. इसके बाद तीन सत्र हुए, जिनमें विशेषज्ञ वक्ताओं, प्रोफेसर डी. के. मिश्रा,के नेतृत्व में “भारतीय न्याय संहिता,” “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,” और “भारतीय साक्ष्य अधिनियम” पर व्याख्यान किया.

नए आपराधिक कानून

वक्ताओं द्वारा की गई प्रमुख टिप्पणी यह थी कि नए कानूनों ने आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत अधिक पुनर्गठन किया है. जैसे-जैसे कानूनी परिदृश्य विकसित होता है, इन सुधारों का ज्ञान कानून प्रवर्तन, कानूनी अभ्यास में प्रभावी ढंग से संलग्न होने और बहुत जरूरी न्यायिक सुधारों में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि छात्रों और शिक्षाविदों को अपनी दक्षता सुनिश्चित करने के लिए नए आपराधिक कानूनों का विश्लेषण, व्याख्या और आलोचना करने की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी है.

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