दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहलगाम आतंकी हमले की तुलना 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले से कि है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि इन घटनाओं से पहले दोनों जगहों पर कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। जिले के भिलाई शहर के एक होटल में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झीरम घाटी और पहलगाम हमले में दो समानता है। एक में नाम पूछकर मारा गया और दूसरे में धर्म पूछकर।
उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के झीरम घाटी में कांग्रेस पार्टी की ‘परिवर्तन रैली’ के दौरान नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया था, जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोग मारे गए थे।
दोनों घटनाओं के समय सुरक्षा को कोई इंतजाम नहीं था
बघेल ने कहा कि पहलगाम हमले ने झीरम घाटी नक्सली हमले की याद दिला दी। पहलगाम हमले और झीरम घाटी हमले में दो समानताएं हैं। झीरम घाटी हमले में नक्सलियों ने लोगों का नाम पूछकर उनकी हत्या कर दी। उन्होंने पूछा था कि नंद कुमार पटेल, दिनेश पटेल (नंद कुमार पटेल के बेटे) और महेंद्र कर्मा कौन हैं। पहलगाम में आतंकियों ने लोगों के नाम और उनका धर्म भी पूछा। दूसरी समानता यह है कि दोनों घटनाओं के समय सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे।
लोगों की मदद के लिए कोई नहीं था
उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों में देखा गया है कि नक्सली और आतंकी बम विस्फोट और गोलीबारी करने के बाद भाग जाते हैं, लेकिन इन दोनों घटनाओं में वे घंटों वहां इंतजार करते रहे। आतंकवादियों को पता था कि लोगों की मदद के लिए कोई सुरक्षा कर्मी नहीं है। बघेल ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों को भरोसा था कि सुरक्षा कर्मी नहीं आएंगे, ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि उन्हें इतना भरोसा कैसे हो गया।
खुफिया विफलता का जिम्मेदार कौन?
उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ हैं, चाहे वह (आतंकवादी हमले के बाद) कोई भी कार्रवाई करे, लेकिन उन्हें (सरकार को) बताना चाहिए कि खुफिया विफलता और लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है। बघेल ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि दुकानदारों समेत स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर घटना के दौरान पीड़ित परिवारों की मदद की।