छत्तीसगढ़ में बोर्ड रिजल्ट आने के बाद एक बार फिर स्वामी आत्मानंद स्कूल मॉडल चर्चा में है। पूर्व CM भूपेश बघेल ने कहा है कि 10वीं और 12वीं की मेरिट लिस्ट में स्वामी आत्मानंद स्कूलों के 48 स्टूडेंट्स शामिल हैं, लेकिन सरकार इन आंकड़ों को दबा रही है।
बघेल ने कहा कि स्वामी आत्मानंद स्कूल में शिक्षकों और प्यून को 10 महीने से सैलरी नहीं मिली है। वहीं, भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने पूर्व CM के आरोपों पर कहा कि जो रिजल्ट आए हैं, वो साय सरकार के सुशासन का नतीजा है। पुरानी सरकार को झूठा क्रेडिट नहीं लेना चाहिए।
हमारे मॉडल की जीत, लेकिन सरकार बधाई देने की जगह आंकड़े छिपा रही
भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी सरकार ने जब स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत की, तब अभिभावकों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। पिछले साल 48 बच्चे मेरिट में आए थे। इस बार हमारी गणना के मुताबिक, 10वीं में 32 और 12वीं में 6 छात्र टॉप टेन में हैं।
इसके बावजूद सरकार ये आंकड़े सार्वजनिक नहीं कर रही। जशपुर से मेरिट में आया छात्र भी स्वामी आत्मानंद स्कूल से है, लेकिन उसका जिक्र नहीं किया गया। उन्हें लगातार फील्ड से रिपोर्ट मिल रही है कि स्कूलों का प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन सरकार उन्हें हाईलाइट नहीं कर रही, बल्कि आंकड़ों को दबा रही है।
गरीब परिवार के बच्चों की मेहनत का जिक्र
भूपेश बघेल ने बलौदाबाजार जिले के कसडोल के छात्र दिनेश यादव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दिनेश गरीब मजदूर का बेटा है। 12वीं में चौथे नंबर पर आया है। इसी तरह पाहंदा में भी गरीब परिवार की बेटी मेरिट में है, वो भी स्वामी आत्मानंद स्कूल के छात्र है।
इसी तरह कई बच्चे जो कमजोर वर्ग से आते हैं, उन्होंने भी टॉप किया है। ये हमारे समय की नीति का असर है, लेकिन सरकार इन सभी आंकड़ों को दबाने में लगी है।
सरकार पर गंभीर आरोप – कहा 10 महीने से सैलरी नहीं मिली
पूर्व सीएम बघेल ने ये भी आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार इन स्कूलों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि बेमेतरा जिले के स्वामी आत्मानंद स्कूल में शिक्षकों और प्यून को 10 महीने से सैलरी नहीं मिली है। इसके बावजूद वहां के बच्चों ने मेरिट में जगह बनाई। ऐसे हालात में भी जो टीचर्स मेहनत कर रहे हैं, उन्हें मैं बधाई देता हूं।
BJP बोली- नाम बदलने से कुछ नहीं होता
भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि भूपेश सरकार सिर्फ नाम बदलना जानती थी। कमल विहार का नाम कौशल्या विहार किया और वहां सामान चोरी होने लगे। वैसे ही स्कूलों का नाम बदलकर क्रेडिट लेना चाहते हैं।
क्या है असल सवाल?
बोर्ड रिजल्ट में स्वामी आत्मानंद स्कूलों के बच्चों की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि संरचना भले पुरानी हो, लेकिन अब सिस्टम किसके भरोसे चल रहा है? भूपेश बघेल जहां इसे अपनी नीति की जीत बता रहे हैं, वहीं भाजपा इसे मौजूदा सरकार की मेहनत का नतीजा बता रही है।
पर असली सवाल है-
क्या सरकार वाकई आंकड़े छिपा रही है?
क्या शिक्षकों को 10 महीने से सैलरी नहीं मिली?
और क्या इस पूरी बहस में बच्चों की मेहनत पीछे छूट रही है?