भूपेश की मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट को चुनौती…SC में सिब्बल रखेंगे पक्ष:बघेल बोले- जिसके खिलाफ NBW, वो खुला घूम रहा, मेरे बेटे को गिरफ्तार किया गया

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर आज सुनवाई होगी। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 44 को चुनौती दी गई है। भूपेश बघेल की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पक्ष रखेंगे।

वहीं, इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भूयानंद और जस्टिस नोंगमेइकापम कोटिस्वर सिंह बैच में होगी। बता दें कि, 4 अगस्त को हुई सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमालया बागची की खंडपीठ ने हाईकोर्ट जाने की बात कही थी।

लेकिन सुनवाई के दौरान एडवोकेट सिब्बल ने कहा कि PML की धारा 44 के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिसमें भूपेश बघेल की याचिका को भी जोड़ा गया है। जिस पर आज सुनवाई होगी।

बिना कोर्ट अनुमति के कैसे हो रही जांच?- भूपेश

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल ने मंगलवार (5 अगस्त) को मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि ईडी की कार्यशैली और मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

साथ ही डिप्टी सीएम विजय शर्मा के सुप्रीम कोर्ट जाने वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि विजय शर्मा ED के प्रवक्ता बन गए है। अगर किसी व्यक्ति पर कार्रवाई हो रही है, तो उसे अपने बचाव का अधिकार है।

बघेल ने बताया कि हम सुप्रीम कोर्ट में गए, वह 3 धाराओं को लेकर गए थे। विशेष रूप से धारा 44 को चुनौती दी गई है। अगर एक बार किसी मामले में चालान पेश हो जाता है, तो दोबारा जांच करने के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य होती है।

लेकिन आज तक ईडी ने किसी मामले में कोर्ट से ऐसी कोई अनुमति नहीं ली है। उन्होंने आगे कहा कि धारा 50 के तहत जिस व्यक्ति पर आरोप है, उसी से गवाही लेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ये न्याय प्रक्रिया के विपरीत है। कोई खुद के खिलाफ कैसे गवाही देगा?

जिसके खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट, वो खुला घूम रहा- भूपेश

भूपेश बघेल ने बताया कि ईडी बार-बार पुराने मामलों में पूछताछ कर रही है। अगर कार्रवाई करनी थी तो पहले कर लेते। जिसके खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी है, वे खुलेआम घूम रहे हैं, उनके बयान के आधार पर मेरे बेटे की गिरफ्तारी हो जाती है ये कौन सी प्रक्रिया है?

उन्होंने बताया कि 4 अगस्त को सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में आधे घंटे की बहस हुई। ऐसा ही मामला चैतन्य से जुड़ा हुआ भी था, जहां पुराने मामलों को दोबारा उठाकर नए तरीके से पूछताछ की गई और गिरफ्तार कर लिया गया। भूपेश बघेल ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में जाने की लिबर्टी दी है।

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