अमेरिका को डर है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया के साथ कभी भी परमाणु युद्ध हो सकता है. इसके लिए मार्च में ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बेहद खुफिया दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे. जिसमें अमेरिका की न्यूक्लियर रणनीति में कुछ बदलाव किए गए हैं, ये बदलाव चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु हथियारों के आधार पर हुए हैं. इस पर जो बाइडेन के हस्ताक्षर भी हैं. इसका नाम है न्यूक्लियर एंप्लॉयमेंट गाइडेंस (NEG).
NEG ही अमेरिका की परमाणु रणनीति को तय करता है. यह निर्धारित करता है कि किस परमाणु संपन्न देश के साथ किस तरह पेश आना है. एटमी जंग के दौरान क्या-क्या कदम उठाने हैं. इस दस्तावेज में हुए बदलावों में बाइडेन ने अपनी सेनाओं को रूस, चीन और उत्तर कोरिया के साथ परमाणु जंग के लिए तैयार रहने को भी कहा है.
यह खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स ने किया है. 20 अगस्त 2024 को व्हाइट हाउस ने कहा कि यह योजना अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस साल के शुरूआत में ही अप्रूव कर दिया था. इसमें किसी एक देश से परमाणु युद्ध का खतरा नहीं है. बल्कि तीन देशों से हैं. लेकिन द टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि अमेरिका को सबसे ज्यादा खौफ चीन का है.
पहले जानिए किस देश के पास कितने परमाणु हथियार?
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रूस के पास हैं. रूस के पास 5580 परमाणु हथियार हैं, जो पिछले कुछ समय में बढ़े हैं. इसके बाद अमेरिका के पास 5044 हथियार हैं. ये कम हुए हैं. फिर चीन के पास 500 न्यूक्लियर वेपन हैं, जो बढ़े हैं.
फ्रांस के पास 290, ब्रिटेन के पास 225, भारत के पास 172, पाकिस्तान के पास 170, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50 परमाणु हथियार हैं. फ्रांस और इजरायल के हथियारों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. लेकिन अमेरिका को छोड़कर बाकी सबके हथियारों की संख्या बढ़ी है. इसलिए अमेरिका परेशान है.
चीन से इतने खौफ की वजह क्या है?
अमेरिका को चीन का खौफ इसलिए है क्योंकि ड्रैगन के पास 500 परमाणु हथियार हैं. ये पिछले साल 410 थे. चीन अपने न्यूक्लियर वेपन को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है. जबकि और किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया है. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डेरिल किंबाल ने कहा कि अमेरिकी खुफिया के मुताबिक चीन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों का जखीरा दोगुना कर लेगा. यानी ये संख्या 500 से 1000 के बीच होगी.
पूरी दुनिया में परमाणु हथियारों को कम करने और खत्म करने की मुहिम चल रही है. ऐसे में अगर चीन हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है तो इससे दुनिया को दिक्कत होगी. क्योंकि उसकी गति बहुत तेज है. चीन की सेना से रिटायर सीनियर कर्नल जोउ बो ने कहा कि बीजिंग के लिए चुपचाप बैठे रहना संभव नहीं है. वो कुछ न कुछ तो करेगा ही. अमेरिका उसके परमाणु नीतियों पर नियंत्रण नहीं कर सकता. न्यूक्लियर हमला पहले वो नहीं करेगा. चीन और भारत ने ही इस बात पर अपनी रजामंदी जाहिर की है.