नशा नाश कर देगा, फिरोगे दाने दाने को
कटोरा हाथ में होगा, कोई नही देगा खाने को
ये लाइन आपने कभी न कभी किसी दीवाल पर जरूर पढ़ी होगी। नशा आज हमारे समाज के साथ साथ पुरे मानव समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है। बीड़ी देश के हर हर कोने में आसानी से मिलने वाला नशा है जिसकी क़ीमत भी अन्य नशीले पदार्थों की तुलना में कम होती है।
इसकी क़ीमत भले कम हो लेकिन इसे पीने वालों को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ती है।
स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ जोधपुर और टोबेको रिसर्च एंड इवोल्यूशन ई – प्लेटफॉर्म की रिपोर्ट भयावह है। 28 राज्यों से के डेटा पर मेटा एनालिसिस से बीड़ी से होने वाले नुकसान पर बड़ा खुलासा हुआ है। बीड़ी पीने से प्रतिवर्ष देश में 5.5 लाख मृत्यु हो रही है। बीड़ी पीने की वजह से देशभर में प्रतिवर्ष 3 करोड़ लोग विकलांगता से प्रभावित हो रहें है। मुंह के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, दिल की बीमारी, टीबी, अस्थमा से ग्रसित होकर लोग मृत्यु के शिकार हो रहें है।
बीड़ी के विक्रय और उपभोग पर नियम
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन ने भारत सरकार से तम्बाकू उत्पादों पर 75% टैक्स लगाने की सिफारिश की है, लेकिन ये अभी तक लागू नहीं हुआ है। साल 2022 में संसदीय समिति ने सदन में रिपोर्ट पेश कर लूज़ सिगरेट न बेचने का भी सुझाव दिया था। स्कूल – कॉलेज के 100 मीटर के दायरे में पान ठेले पर प्रतिबंध, सार्वजानिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध जैसे नियम है लेकिन इनका कड़ाई से पालन न नागरिकों द्वारा किया जाता है और न ही शासन – प्रशासन द्वारा कराया जाता है।
एक्सपर्ट की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार बीड़ी में फ़िल्टर नहीं होता है इस वजह से ये सिगरेट की तुलना में अत्यधिक खतरनाक होता है. हालांकि सिगरेट से भी लाखों जान जाती है और ये कही से भी सुरक्षित नहीं है। बीड़ी का धुआँ सीधे मुंह, श्वास नली, दिल और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।