भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के आधिकारिक एक्स हैंडल को “चुराने” का आरोप लगाया है. इस आरोप के बाद दिल्ली में नया सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है.
विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली सीएमओ के एक्स हैंडल, जो आमतौर पर किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि कार्यालय का प्रतिनिधित्व करता है, का नाम बदलकर ‘अरविंद केजरीवाल एट वर्क’ (@kejriwalAtWork) कर दिया गया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सीएमओ का अकाउंट बदलकर उसे अपना अकाउंट बना लिया, यह सरकारी पैसे की सीधी लूट है. यह डिजिटल लूट है. हमने एलजी से मांग की है कि दिल्ली सरकार का आईटी विभाग तुरंत एफआईआर दर्ज करे, जांच शुरू करे और सख्त कार्रवाई करे.” हालांकि बाद में पूरा अकाउंट डिलीट कर दिया गया. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सचदेवा ने सोशल मीडिया पर भी अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कार्रवाई की मांग की.
वीरेंद्र सचदेवा की मांग
उन्होंने लिखा, ‘आदरणीय उपराज्यपाल जी, मैं आपका ध्यान पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई दिल्ली सरकार की डिजिटल संसाधन की लूट की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं. मान्यवर दिल्ली में सरकारी पैसे एवं संसाधनों से करीब एक दशक पहले एक ट्विटर हैंडल (अब एक्स पोस्ट) बनाया गया था जिसका नाम था “सी.एम.ओ. दिल्ली” और इसको सरकारी स्टाफ एवं साधनों से प्रमोट करके इससे जुड़ने के लिए लाखों लोग आमंत्रित किए गए. खेदपूर्ण है कि अरविंद केजरीवाल एवं सुश्री आतिशी की सरकार के हारते ही आज वर्तमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री के आदेश पर “सी.एम.ओ. दिल्ली” के एक्स पोस्ट को अरविंद केजरीवाल का निजी पोस्ट बना दिया है.मान्यवर यह सरकार की डिजिटल लूट का मामला है और इसकी जांच जरूरी है.मै आपसे मांग करता हूं इसकी जांच करा कर इस लूट पर रोक लगाएं.
अमित मालवीय ने दी कानूनी कार्रवाई की धमकी
वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने पोस्ट किया है. मालवीय ने लिखा, ‘दिल्ली चुनाव हारने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर और यूट्यूब अकाउंट को निष्क्रिय कर दिया और उनका नाम बदल दिया. ये डिजिटल संपत्तियां, जिन्हें पहले @CMODelhi के नाम से जाना जाता था, अब बदलकर @KejriwalAtWork कर दी गई हैं. @CMODelhi अकाउंट सरकार का अपना अकाउंट था, अरविंद केजरीवाल की निजी संपत्ति नहीं था. उनके साथ छेड़छाड़ करना राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बराबर है, और नियंत्रण वापस पाने के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद हैं.’