बांग्लादेश में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को बड़ा झटका लगा है. बांग्लादेश की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह दो जनवरी को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इससे पहले 26 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
चटगांव मेट्रोपोलिटन सेशन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने बुधवार को कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की याचिका इसलिए खारिज कर दी गई क्योंकि उनके पास किसी वकील का लेटर ऑफ अटॉर्नी नहीं था. इसके बाद बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता रवींद्र घोष ने चटगांव जाकर चिन्मय कृष्ण दास के लिए अदालत में याचिका पेश की.
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घोष ने जब कोर्ट में अग्रिम सुनवाई का अनुरोध किया तो अन्य वकीलों ने इसका विरोध किया और कहा कि घोष के पास चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी करने के लिए कोई वकालतनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने दास की याचिका खारिज कर दी.
चिन्मय दास के वकील ने क्या कहा?
घोष ने न्यूज एजेंसी एएनआई से फोन पर बातचीत में बताया कि मैंने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर सुनवाई के लिए शीघ्र तारीख तय करने के लिए चटगांव अदालत में एक आवेदन दिया था, लेकिन उस समय लगभग 30 वकील अदालत की अनुमति के बिना अदालत कक्ष में घुस आए और मुझ पर हमला करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि वे मुझे इस्कॉन एजेंट, चिन्मय का एजेंट कहकर चिढ़ाते हैं. वे मुझे हत्यारा कहते हैं. मैं एक वकील के तौर पर आया हूं. मैं हत्यारा कैसे हो सकता हूं.
2 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
दरअसल, इस मामले में तीन दिसंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के सुझाव पर तारीख दो जनवरी 2025 तक टाल दी क्योंकि चिन्मय कृष्ण दास की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ था.
बांग्लादेश में हिंदूओं का अत्याचार
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदूओं का नरसंहार हो रहा है. शेख हसीना के सत्ता से चले जाने के बाद में बांग्लादेश में हिंदूओं को निर्ममता से कुचला जा रहा है. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर लूटपाट और बर्बरता की जा रही है. हिंदुओं के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और घरों को निशाना बनाया जा रहा है.