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भोपाल में आयुष्मान कार्ड की आड़ में साइबर ठगी का बड़ा मामला, मुख्य आरोपित की खुदकुशी

भोपाल में आयुष्मान कार्ड बनाने के बहाने लोगों के दस्तावेज़ों का दुरुपयोग कर फर्जी सिम एक्टिवेट कर साइबर ठगों को बेचने का मामला सामने आया है। मामले का मुख्य आरोपित सुमेर सिसौदिया ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली, जिससे पुलिस की जांच की कड़ी टूट गई है। पुलिस अब अन्य माध्यमों से आरोपितों और साइबर ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

क्राइम ब्रांच के अनुसार हबीबगंज और गांधीनगर क्षेत्र की बस्तियों में सैकड़ों सिमें लोगों के नाम पर एक्टिवेट की गई थीं। इस ठगी में लोगों के फिंगरप्रिंट और दस्तावेज़ों का उपयोग किया गया। अगस्त में इन बस्तियों में आयुष्मान कार्ड बनाने का फर्जी कैंप लगाया गया था। कैंप लगाने वालों ने लोगों से 50-50 रुपये फीस के तौर पर वसूले और कार्ड घर पर पहुंचाने का वादा किया।

जांच के दौरान यह पता चला कि लूप सिमों के आपरेटर मानसिंह और कुलदीप साहू ने सुमेर से सिमें खरीदी और साइबर ठगों को बेचीं। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की, जिसमें सुमेर का नाम सामने आया। जब पुलिस उसके पते पर पहुंची, तो पता चला कि उसने खुदकुशी कर ली थी। इससे साइबर ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।

एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि मामले की अगली कड़ी जोड़ना मुश्किल हो गया है, लेकिन पुलिस अन्य स्रोतों से आरोपितों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इस मामले ने साइबर ठगी और फर्जी सिम व्यापार के गंभीर खतरे को उजागर किया है।

पुलिस अब फिंगरप्रिंट और दस्तावेजों के माध्यम से अन्य आरोपितों की पहचान करने में जुटी है और जांच जारी है। नागरिकों से अपील की गई है कि वे ऐसे किसी भी संदिग्ध कैंप या फर्जी गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।

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