क्या देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप में कोई उथल-पुथल होने जा रही है? ये सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि टाटा ग्रुप पर कंट्रोल करने वाले टाटा ट्रस्ट्स ने एक स्पेशल एग्जीक्यूटिव कमेटी बनाई है. इसका चेयरमैन रतन टाटा को बनाया गया है, जबकि इसमें कंपनी से जुड़े कई बड़े नाम और शामिल हैं. कंपनी से जुड़े सभी जरूरी और बड़े फैसले अब यही कमेटी करेगी. सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि टाटा ट्रस्ट्स की इस स्पेशल एग्जीक्यूटिव कमेटी के वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह हैं. जबकि इसमें ट्रस्टी मेहली मिस्त्री को भी शामिल किया गया है.
क्या है कमेटी बनाने की वजह?
ईटी ने अपनी खबर में कहा है कि इस कमेटी को बनाने का मकसद रोजमर्रा के काम पर तेजी से डिसिजन लेना है, ताकि हर निर्णय पर पूरे बोर्ड से रजामंदी लेने की जरूरत ना पड़े. टाटा ग्रुप से जुड़े अलग-अलग ट्रस्टों में कुल 18 ट्रस्टी हैं.
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है टाटा संस, जिसमें टाटा ट्रस्ट्स की कंट्रोलिंग अथॉरिटी है. ऐसे में टाटा संस और ओवरऑल टाटा ग्रुप के अहम निर्णय लेने में टाटा ट्रस्ट्स की ही भूमिका रहती है. इसके अलावा टाटा संस में कई अलग-अलग ट्रस्टी की भी हिस्सेदारी है.
टाटा ट्रस्ट्स में हुए कई फेरबदल
इस बीच टाटा ट्रस्ट्स की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अपर्णा उप्पालुड़ी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्हें करीब सालभर पहले अप्रैल 2023 में ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इस पद पर बैठने वाली वह सबसे पहलीं थीं. उसी समय सिद्धार्थ शर्मा को टाटा ट्रस्ट्स का सीईओ बनाया गया था, जो फिलहाल अपने पद पर बने हुए हैं. हालांकि टाटा ट्रस्ट्स की ओर से इस पूरे वाकये को लेकर कोई अलग से बयान नहीं दिया गया है.
कितना बड़ा है टाटा ट्रस्ट्स
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट्स के पास है. Tata Trusts एक कल्याणकारी ट्रस्ट है जिसमें टाटा परिवार के सदस्य शामिल हैं. इसमें टाटा परिवार के सदस्यों से जुड़े कई अन्य ट्रस्ट शामिल हैं. सबसे बड़े ट्रस्ट सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ओर सर रतन टाटा ट्रस्ट हैं. टाटा ट्रस्ट्स के हेड मौजूदा समय में 87 साल के रतन टाटा हैं. वह टाटा संस के मानद चेयरमैन भी हैं.