अमेठी : प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पात्र लाभार्थियों को सरकार द्वारा मकान उपलब्ध कराने की योजना है, लेकिन अमेठी और संग्रामपुर ब्लॉक की कई ग्राम सभाओं में जियो टैगिंग को लेकर भारी अनियमितताएं सामने आ रही हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानों ने इस योजना को अपने राजनीतिक फायदे का साधन बना लिया है और आने वाले पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए सिर्फ अपने करीबी लोगों की जियो टैगिंग करवा रहे हैं.
संग्रामपुर ब्लॉक:धोएं, चंडेरिया, बनवीरपुर, पतापुर, उत्तरगांव, पुन्नपुर, सोनारी कनू, सरैया कनू, नेवादा कनू, संग्रामपुर, भौसिंहपुर, गंगापुर, गोरखापुर, भैरोपुर, इटौरी, ठेंगहा, करनाईपुर सहित कई ग्राम सभाओं में सैकड़ों गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र होने के बावजूद जियो टैगिंग से वंचित हैं.
अमेठी ब्लॉक:जंगल रामनगर, परसावां, दरखा, चचकपुर समेत कई ग्राम सभा में भी जियो टैगिंग में गड़बड़ी की खबरें आ रही हैं. गरीबों के घरों की टैगिंग अभी तक नहीं हुई है, जबकि प्रधानों के नजदीकी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है.
राजनीतिक साजिश: प्रधान अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए केवल अपने समर्थकों की जियो टैगिंग करवा रहे हैं.
जरूरतमंदों की अनदेखी: गरीब, दिव्यांग और विधवा महिलाएं जो योजना के लिए पूरी तरह पात्र हैं, उन्हें सूची से बाहर रखा जा रहा है.
तकनीकी बहाना: जियो टैगिंग की धीमी प्रक्रिया के पीछे कभी सर्वर की समस्या बताई जा रही है, तो कभी कर्मचारियों की कमी का हवाला दिया जा रहा है.चुनावी खेल:यह सब आगामी प्रधानी चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है ताकि अपने चहेते लोगों को लाभ देकर समर्थन हासिल किया जा सके.इस अनियमितता से आक्रोशित ग्रामीणों ने खंड विकास अधिकारियों को कई बार शिकायत पत्र सौंपे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. अब ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि 31 मार्च तक सभी पात्र लोगों की जियो टैगिंग नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे.
खंड विकास अधिकारी, संग्रामपुर ने कहा कि शिवपूजन भारती ब्लॉक में किसी तरह की सर्वर समस्या नहीं है. कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं. 31 मार्च तक सभी पात्र लाभार्थियों की जियो टैगिंग पूरी कर दी जाएगी. यदि किसी की अनदेखी की गई है, तो दोषियों पर जांच कर कड़ी कार्रवाई होगी.
खंड विकास अधिकारी, अमेठी का कहना है कि हमारी टीम इस योजना को सफल बनाने में पूरी तरह समर्पित है. यदि कोई प्रधान या कर्मचारी इसमें गड़बड़ी कर रहा है, तो उसकी जांच कर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
क्या यह चुनावी घोटाले की शुरुआत है?
गांवों में जियो टैगिंग को लेकर चल रही गड़बड़ी साफ इशारा कर रही है कि प्रधानों ने इस सरकारी योजना को अपने चुनावी फायदे का जरिया बना लिया है. यदि जल्द निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह मामला एक बड़े चुनावी घोटाले का रूप ले सकता है. अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या ठोस कदम उठाता है या फिर गरीबों को उनके हक से वंचित कर सिर्फ राजनीति ही होती रहेगी.