कनाडा ने ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आंतकी संगठन घोषित कर दिया है. इसके साथ ही अपने नागरिकों को जल्द से जल्द ईरान छोड़ देने का अनुरोध किया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि IRGC अब कनाडा में आतंकी ग्रुप की लिस्ट में शामिल हो गया है.
जस्टिन ट्रूडो की कनाडा सरकार ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि इस कदम से टेरर फंडिंग को रोकने में मदद मिलेगी. कनाडाई सरकार ने जारी बयान में कहा कि आईआरजीसी को आतंकी लिस्ट में शामिल करने से एक सशक्त संदेश गया है कि आईआरजीसी की सभी आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए कनाडा हरसंभव प्रयास करेगा. हालांकि, कनाडा के इस कदम पर अभी तक ईरान की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
The IRGC is now listed as a terrorist group in Canada.
— Justin Trudeau (@JustinTrudeau) June 19, 2024
बता दें कि सालों से कनाडा की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी प्रधानमंत्री ट्रूडो से IRGC को ब्लैकलिस्ट करने का अनुरोध कर रही है. कनाडा के पब्लिक सेफ्टी मंत्री डोमिनिक लेब्लैंक ने बुधवार को कहा कि इस फैसले के पीछे ईरान के मानवाधिकार रिकॉर्ड एक प्रमुख कारण है. उन्होंने बयान में कहा कि ईरान की सरकार लगातार देश के भीतर और बाहर मानवाधिकारों को धत्ता बताती रही है.
IRGC की स्थापना इस्लामिक क्रांति के तुरंत बाद हुई थी, जिसे सिपाह-ए-पासदरन भी कहा गया. उस समय ये एक छोटी सेना थी, जिसमें पारंपरिक लड़ाके नहीं, बल्कि ऐसे लोग शामिल थे जो देश में इस्लामिक क्रांति चाहते थे. ईरान इससे पहले काफी आधुनिक देश हुआ करता था. लेकिन ऐसे में इस्लामिक कानूनों का काफी विरोध भी हुआ. IRGC का मकसद इसी विरोध को खत्म करना था. बाद में इस गुट को ईरानी कानून में वैध मान लिया गया. यहां तक कि उसे इतनी ताकत दे दी गई कि वो पॉलिटिकल और आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप कर सके.
यह किसी अन्य देश की पारंपरिक सेनाओं की तरह नहीं है बल्कि ये ईरान की स्पेशल वैकल्पिक फोर्स है. सेना प्रमुख दावा करते हैं कि उनके पास एक लाख 90 हजार एक्टिव सैनिक हैं, जो जमीन, समुद्र और हवा तीनों जगहों पर काम करते हैं. ये सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को रिपोर्ट करती है. फोर्स की ताकत का अनुमान इससे लगा सकते हैं कि ये ईरान का बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम भी चलाती है.
बता दें कि ‘इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ (IRGC) ईरान के लिए धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर लड़ने वाली सेना है. ये घरेलू संकट के साथ विदेशी खतरों की स्थिति में इस्लामिक राष्ट्र के हितों की रक्षा करती है. ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन ईरान की इस स्पेशल फोर्स को जल्द ही आतंकी संगठन घोषित करने की तैयारी में हैं.
सेना को आतंकी संगठन घोषित करने से एक बड़ा फर्क ये आएगा कि ईरान की इस स्पेशल फोर्स से जुड़ना या इसका समर्थन करना अपराध हो जाएगा.
इसके अलावा जिस देश में भी इसकी संपत्तियां घोषित हैं, उन्हें फ्रीज कर दिया जाएगा. इसके साथ ही इस संगठन को कोई भी नागरिक या कारोबारी संस्था किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं कर सकेगा.
ईरान की स्पेशल आईआरजीसी फोर्स को अमेरिका ने साल 2019 में टेरर गुट घोषित कर दिया था क्योंकि ये हिज्बुल्लाह समेत मिडिल ईस्ट में कई आतंकवादी संगठनों को बनाने के लिए जिम्मेदार रहा. उसके समेत यूरोपियन यूनियन ने IRGC पर आरोप लगाया कि उसने सऊदी अरब में ड्रोन हमला कर तेल भंडार को काफी नुकसान पहुंचाया था. इराक में तैनात 6 से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की हत्या के लिए ट्रंप प्रशासन ने इसी सैन्य समूह को जिम्मेदार मानते हुए साल 2019 में इसे टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन घोषित कर दिया था.