“देशभक्ति में फल व्यापारियों का बड़ा फैसला: गोंडा मंडी में तुर्की के सेब और आलूबुखारा पर बैन, 50 लाख का नुकसान मंजूर”

गोंडा: देशभक्ति की मिसाल पेश करते हुए गोंडा के फल व्यापारियों ने तुर्की के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है. भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को आर्थिक चोट पहुंचाने के इरादे से इस बार गोंडा की फल मंडी में तुर्की के सेब और आलूबुखारा नहीं बिकेंगे. हर साल लाखों रुपये के फल बिकने वाले इस विदेशी व्यापार पर अब ब्रेक लग गया है. इस फैसले से मंडी को करीब 50 लाख रुपये का नुकसान होगा, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि देशहित के सामने कारोबार की कोई कीमत नहीं.

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फल मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कलाम ने दो टूक कहा कि जब भारतीय सेना ने अपनी ताकत दिखाई है, तो अब व्यापारियों की बारी है। उन्होंने कहा, “हम किसी भी आतंकी समर्थक देश से व्यापार नहीं करेंगे. तुर्की ने जिस तरह पाकिस्तान का साथ दिया, वह माफ करने लायक नहीं है.”

हर साल गोंडा की मंडी में तुर्की से एक ट्रक सेब आता था, जिसमें करीब 1200 पेटियां होती थीं. हर पेटी में औसतन 20 किलो सेब होता था, यानी करीब 24 मीट्रिक टन। इस व्यापार से तुर्की को करीब 25 से 35 लाख रुपये की कमाई होती थी. लेकिन इस बार न तुर्की के सेब आएंगे और न ही उन्हें बेचने की अनुमति दी जाएगी. उनकी जगह अब उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ईरान, अफगानिस्तान, पोलैंड और इटली के सेब बेचे जाएंगे.

सिर्फ सेब ही नहीं, बल्कि तुर्की से आने वाले आलू बुखारा, चेरी, आड़ू और लीची पर भी रोक लगा दी गई है। करीब 15 पेटियों यानी तीन क्विंटल आलू बुखारा की बिक्री हर साल होती थी, जिससे तुर्की को लगभग 15 लाख रुपये का लाभ होता था। इस बार उसकी जगह देशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा.

व्यापारी अनवर शादाब ने बताया कि तुर्की के सेब की बुकिंग अप्रैल-मई से ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार पूरी मंडी में एक भी व्यापारी ऐसा नहीं है जो तुर्की से माल मंगवाए. उन्होंने कहा कि “पहली पसंद अब देशी फल होंगे, और यदि विदेशी फल लाने की जरूरत पड़ी तो केवल ईरान व अफगानिस्तान जैसे मित्र देशों से ही माल मंगाया जाएगा.”

व्यापारी इमरान खान ने भी स्पष्ट कर दिया कि मंडी में किसी को तुर्की का सामान बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मुन्नवर ने कहा, “हम व्यापार के लिए देश से समझौता नहीं करेंगे। तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत का विरोध किया है, तो हमारे पास उसका जवाब यही है.”

गोंडा मंडी में लिया गया यह फैसला पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन रहा है. फल व्यापारियों ने साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए हर वर्ग अपनी भूमिका निभा सकता है – फिर चाहे कीमत 50 लाख रुपये की क्यों न हो.

 

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