Karnataka Government: कर्नाटक सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के लिए अपने संबंधित अल्पसंख्यक समुदायों से कम से कम 50 प्रतिशत छात्रों को प्रवेश देने की अनिवार्य आवश्यकता को औपचारिक रूप से समाप्त करने का फैसला किया है. कर्नाटक शैक्षणिक संस्थान (अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता के लिए प्रावधान और शर्तें) नियम, 2024 में हुए संशोधन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
छोटे समुदायों द्वारा संचालित संस्थानों ने इस निर्णय का स्वागत किया है. हालांकि मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों ने इस पर आपत्ति जताई है.
छोटे समुदायों द्वारा संचालित संस्थानों के लिए खड़ी हो रही थी मुश्किलें
मौजूदा नियमों के अनुसार, उच्च और तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके 50 प्रतिशत छात्र उस अल्पसंख्यक धर्म से हों जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं, ताकि उनका ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ का दर्जा बरकरार रहे. इस नियम ने विशेष रूप से ईसाई, जैन, सिख और पारसी जैसे छोटे समुदायों द्वारा संचालित संस्थानों के लिए चुनौतियां खड़ी की हैं क्योंकि राज्य में इनकी सीमित जनसंख्या है.
मार्च 2024 में सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा संचालित स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए निर्धारित प्रतिशत कोटा की आवश्यकता को हटाते हुए इन मानदंडों में ढील देने का फैसला किया था. सरकार अब इसको लेकर नए नियम बना रही है.
मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों ने उठाए सवाल
छोटे समुदायों द्वारा संचालित संस्थानों ने इस निर्णय का स्वागत किया है. वहीं, मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों ने इस पर आपत्ति जताई है. अपेक्षाकृत बड़ी आबादी के आधार पर मुस्लिम संस्थानों को 50 प्रतिशत की आवश्यकता को पूरा करने में कोई मुश्किल नहीं है. सरकार ने अब अल्पसंख्यक संस्थानों में प्रस्तावित संशोधनों के मसौदे के लिए जनता से प्रतिक्रिया मांगी है.
इससे पहले उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एमसी सुधाकर ने इस नियम को लेकर कहा था कि इस नियम की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत ईसाई समुदाय के लोगों को होती है क्योंकि जनसंख्या 2 प्रतिशत है. ऐसे में उन्हें 50 प्रतिशत सीटें भरने में कठिनाई हो रही है.