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NEET पर बड़ा फैसलाः NTA ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- ग्रेस मार्क्स रद्द, 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मिलेगा ऑप्शन

NEET UG धांधली मामले में आज छात्रों की बड़ी जीत हुई है. सुप्रीम ने नीट परीक्षा परिणाम में अनियमितता को देखते हुए NTA को 1563 छात्रों का ग्रेस मार्क्स रद्द करके फिर से NEET परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की.

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67 छात्रों को 720 में से 720 मार्क्स मिलने पर जब एनटीए से सवाल पूछा गया था तो एनटीए इसके पीछे की वजह ग्रेस मार्क्स बताया था. एनटीए ने अपनी सफाई में कहा था कि कुछ एग्जाम सेंटर्स पर लॉस ऑफ टाइम की वजह से कुल 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जिसकी वजह से 44 छात्रों के मार्क्स 720 हुए. हालांकि आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद एनटीए को ग्रेस मार्क्स रद्द करने का निर्देश दिया गया.

जिन छात्रों को NTA की तरफ से ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं उन्हें दो ऑप्शन दिए हैं. ये छात्र या तो 23 जून को री-एग्जाम में बैठ सकते हैं या फिर बिना ग्रेस मार्क्स वाले पुराने स्कोर के साथ ही काउंसलिंग की तरफ आगे बढ़ सकते हैं. जिन अभ्यर्थियों को आत्मविश्वास है कि वे दोबारा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो वे री-एग्जाम में शामिल होने का फैसला ले सकते हैं.

NEET रिजल्ट के बाद दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों का ही री-एग्जाम कराया जाएगा. इससे पहले NTA ने कहा था करीब 24 लाख छात्रों में से केवल 1563 छात्रों के परीक्षा परिणाम तक समस्या सीमित है. बाकी छात्रों को कोई परेशानी नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर दोहराया है कि NEET UG की काउंसलिंग पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी. स्टूडेंट्स काउंसलिंग राउंड में शामिल हो सकते हैं. 23 जून को दोबार NEET परीक्षा होगी और 30 जून को इसका रिजल्ट घोषित होने की उम्मीद है. ताकि जुलाई में NEET की काउंसलिंग शुरू हो सके. NTA की तरफ से कहा गया कि छात्रों का डर दूर करने के लिए यह निर्णय लिया जा रहा है.

दरअसल, 5 मई को देशभर में हुई नीट परीक्षा कराने वाली NTA ने 4 जून को जब रिजल्ट जारी किया तो देश भर में हंगामा खड़ा हो गया. वजह 67 बच्चों को जहां 720 में 720 नंबर मिले थे, वहीं इससे भी ज्यादा 1563 बच्चों को ग्रेस मार्किंग दी गई थी. यह ग्रेस मार्किंग 10, 20 या 30 नंबर की नहीं 100 से 150 नंबर तक की दी गई थी, जिसकी वजह से कई बच्चे जो मेरिट में बाहर थे वो मेरिट में आ गए और जो मेरिट वाले बच्चे थे उनके लिए गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला पाना मुश्किल हो गया.

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