बीएमओ जांच में बड़ा खुलासा: उप स्वास्थ्य केंद्र सिलौटा में दवा घोटाला उजागर… लापरवाह स्टाफ पर बर्खास्तगी की मांग

 

सूरजपुर: शासन की मंशा थी कि गांव-गांव में गरीबों को मुफ्त दवाइयां मिलें और कोई भी इलाज के लिए तरसे नहीं। लेकिन प्रतापपुर ब्लॉक का उप स्वास्थ्य केंद्र सिलौटा गरीबों की उम्मीदों का कब्रगाह साबित हुआ है. यहां स्टाफ की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने शासन की मंशा पर पानी फेर दिया है.

खबर छपने के बाद प्रशासन हरकत में आया और बीएमओ अपनी जांच टीम के साथ अस्पताल पहुंचे. जैसे ही परिसर की छानबीन शुरू हुई, अस्पताल के स्टॉक रूम का ताला तुड़वाकर खुलवाया गया। अंदर का मंजर चौंकाने वाला था—बोरी भर-भर कर जली हुई दवाइयां मिलीं और पुराने भवन के भीतर दबाकर रखी गईं 50–60 पेटियां एक्सपायरी दवाइयों की बरामद हुईं। सबसे बड़ी बात यह कि जिन दवाइयों की मियाद खत्म नहीं हुई थी, वे भी कभी मरीजों तक पहुंचाई ही नहीं गईं.

डॉक्टर पूरे जुलाई माह ड्यूटी पर नहीं आए, लेकिन उपस्थिति रजिस्टर में पूरे महीने की फर्जी हाजिरी भर दी गई थी। पूछने पर डॉक्टर ने न केवल गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया, बल्कि खुलेआम विवादित बयान दे दिया कि “अस्पताल चलाने का पैसा शासन के पास नहीं है, मैंने अपने घर से डेढ़ लाख खर्च किया है, नौकरी जाए भाड़ में।” इतना ही नहीं, सरपंच, उपसरपंच और ग्रामीणों के सामने स्टाफ और डॉक्टर ने अभद्र भाषा का प्रयोग कर जनप्रतिनिधियों का अपमान भी किया.

अस्पताल में सुविधाओं का हाल यह है कि कूलर और पंखे तक गायब हैं, उनका कोई हिसाब स्टाफ के पास नहीं है. जुलाई माह का पूरा भुगतान उठाने के बावजूद एक भी मरीज को दवाई उपलब्ध नहीं कराई गई. ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में ही दवाइयों का वितरण दिखाकर हकीकत में पेटी-पेटी दवाइयां निकालकर धीरे-धीरे जलाई जाती रही हैं। इस पूरे खेल से कालाबाज़ारी और भ्रष्टाचार की बू साफ महसूस हो रही है.

जांच के दौरान मौके पर सरपंच विश्वनाथ सिंह, उप सरपंच रामविलास जायसवाल, रामप्रवेश गुप्ता, भानु गुप्ता, बसंत गुप्ता, अरविंद जायसवाल, जयलाल, राजेश गुप्ता, महावीर सिंह, रमेश गुप्ता, पंकज गुप्ता, संजय गुप्ता, अनिल जायसवाल, उमेश गुप्ता, दशरथ, कुंज बिहारी, राजूराम, कमल साय, सुमित सिंह, अशोक सिंह, अनिल चेरवा, सलेश जायसवाल, बैजनाथ जायसवाल, बउराम, मनोज सिंह, विनोद पाल, प्रदीप गुप्ता, सुनील जायसवाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने स्वास्थ्य विभाग की इस घोर लापरवाही की शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि अगर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो ग्रामवासी आंदोलन और चक्का जाम करने पर मजबूर होंगे, जिसमें आसपास की कई पंचायतों से भारी संख्या में लोग शामिल होंगे.

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का साफ कहना है कि गरीबों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने वाले स्टाफ को तत्काल बर्खास्त किया जाए और इस घोटाले की जड़ तक पहुंचकर जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए। अब देखना यह है कि शासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है.

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