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बड़ा खुलासा: सगे चाचा ने ही किया था अपनी ही भतीजी का रेप , महानवमी पर कन्या भोज के लिए निकली थी मासूम

कन्या भोज के लिए निकली 6 साल की मासूम के साथ रेप हुआ था। पुलिस ने मौत की गुत्थी सुलझा ली है। बच्ची के साथ रेप की इस घिनौनी वारदात को किसी और ने नहीं, बल्कि उसी के सगे चाचा ने ही अंजाम दिया था। गहरे सदमें की वजह से बच्ची की मौत हो गयी। पुलिस इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासा कर रही है।

दरअसल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में हुई रविवार को एक दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। महज 6 साल की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि पूरे सभ्य समाज पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नवरात्रि जैसे पावन पर्व के दौरान, जब कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है, उसी दिन एक मासूम बच्ची हैवानों की दरिंदगी का शिकार बन गई।

रुला देगा मां का रुदन

इस दिल दहला देने वाली घटना का सबसे मार्मिक दृश्य उस मां का रुदन है, जो अपनी बेटी के शव को गोद में लिए न्याय की गुहार लगा रही है। रामनवमी के दिन बच्ची कन्या पूजन के लिए घर से निकली थी, लेकिन वह कभी घर लौट नहीं सकी। बच्ची के शरीर पर सिगरेट से जलाने के निशान भी मिले हैं, जिससे घटना की बर्बरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। यह दरिंदगी इतनी वीभत्स थी कि जिसने भी सुना, उसकी रूह कांप उठी।

आरोपियों की गिरफ्तारी और प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना दुर्ग जिले के मोहन नगर थाना क्षेत्र की है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 5 आरोपियों को हिरासत में लिया था। हालांकि पूछताछ में उसका सगा चाचा ही हैवान निकला। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इस घटना को दुर्भाग्यजनक बताया और भरोसा दिलाया कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। वहीं कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा ने भी आश्वासन दिया कि त्वरित और कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

राजनीति भी हुई सक्रिय

इस दर्दनाक घटना के बाद प्रदेश की राजनीति भी सक्रिय हो गई है। कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मामले में सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि बच्चियों की सुरक्षा नवरात्र जैसे पवित्र दिनों में भी नहीं हो पा रही है, तो यह बेहद चिंताजनक है।

समाज के सामने खड़े हुए गंभीर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। एक मासूम, जो देवी के रूप में पूजी जाती है, उसे भी दरिंदों की नजर से नहीं बचाया जा सका। उस बच्ची ने इस समाज से जाते-जाते कई सवाल छोड़े हैं—क्या उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह एक बच्ची थी?यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है जब हमें सिर्फ कानून पर नहीं, बल्कि अपने सोच और व्यवस्था पर भी मंथन करना होगा।

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