मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साइबर तहसील (Cyber Tehsil) के सुचारु संचालन के लिये तहसीलदार (Tehsildar) और नायब तहसीलदारों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है. वर्तमान में साइबर तहसील भोपाल (Bhopal) में 8 नायब तहसीलदार और 3 तहसीलदार पदस्थ थे. राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा (Karan Singh Verma) ने बताया कि तहसीलदार और नायब तहसीलदार के 7-7 पद बढ़ाये गये हैं. अब साइबर तहसील में 10 तहसीलदार और 15 नायब तहसीलदार पदस्थ होंगे. डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) सरकार ने ये फैसला प्रदेश में अपराधों की संख्या को कम करने के लिए लिया है.
एक अनुमान के मुताबिक, एक साल प्रदेश में लगभग 14 लाख नामांतरण प्रकरण होते हैं. इनमें 8 लाख प्रकरण भूमि के विक्रय संबंधी प्रकरण होते हैं. इन सभी 8 लाख प्रकरणों में क्रय-विक्रय आधारित पंजीयन के बाद नामांतरण का पूरा कार्य ऑटोमेटिक, ऑनलाइन और पेपरलेस होता है. इससे नागरिकों को बहुत सुविधा मिल रही है.
साइबर तहसील भोपाल द्वारा प्रदेश के सभी 55 जिलों में किसानों की जमीन के क्रय-विक्रय के लिए नामांतरण ऑनलाइन की जाती है. प्रदेश के सभी 55 जिलों में जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद किसानों को नामांतरण के लिये आवेदन नहीं लगाना पड़ता और तहसील के चक्कर भी नहीं लगाना पड़ते. रजिस्ट्री होते ही ऑनलाइन जानकारी साइबर तहसील पहुंचती है. साइबर तहसील में तहसीलदार द्वारा नामांतरण की पूरी कार्रवाई कर नामांतरण आदेश जारी किया जाता है. यह कार्रवाई 20 दिन की अवधि में पूरी हो जाती है. कार्रवाई पूरी होने पर नामांतरण आदेश और खसरा की प्रति संबंधित के मोबाइल पर व्हाट्स-अप और SMS से भेजी जाती है.
पहले नामांतरण के लिये आवेदन करना होता था. खसरे में नाम चढ़वाने के लिये पटवारी से संपर्क करना पड़ता था. इसके बाद खसरा और खतौनी की प्रतियां प्राप्त करने के लिये लोक सेवा केन्द्र या कियोस्क पर भी जाना पड़ता था, जिसमें बहुत समय लगता था और कठिनाई भी होती थी. इन सभी परेशानियों को देखते हुए प्रदेश में साइबर तहसील की अवधारणा को सामने लाया गया. साइबर तहसील की कार्रवाई के बाद अब न तो आवेदन करना होता है और न ही तहसील के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसी काम को अधिक सुगम बनाने के लिए इन साइबर तहसीलदारों की संख्या को बढ़ाने का फैसला लिया गया है.