बिहार में महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक वित्तीय व्यवस्था को नई ऊंचाई देने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की गई है. बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड पटना का रजिस्ट्रेशन कराया गया है. महिला नेतृत्व की सहकारी संस्था जीविका का उद्देश्य राज्य की ग्रामीण महिलाओं को सुलभ, समयबद्ध ऋण सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि वे अपने व्यवसाय, कृषि और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ा सकें.
इस अवसर पर सहकारिता विभाग, बिहार सरकार के सचिव धर्मेन्द्र सिंह एवं रजिस्टार इनायत खान ने संयुक्त रूप से बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड का निबंधन प्रमाणपत्र जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा को सौंपा.
ऋण प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता
राज्य की संकुल स्तरीय संघों (CLF) ने दीर्घकालीन जमा राशि के रूप में योगदान दिया है. इसके अतिरिक्त बिहार सरकार द्वारा भी वित्तीय सहायता इस संस्था को उपलब्ध कराई गई है, जिससे यह स्वावलंबी एवं सशक्त संस्था बन सके.
जीविका निधि का मकसद केवल ऋण देना नहीं है बल्कि एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जो महिला उपयोगकर्ताओं की जरूरतों, उनके कार्य-चक्र, ऋण की समयबद्धता एवं स्थानीय आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखकर कार्य करे. इस संस्था के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं सुगमतापूर्वक ऋण प्राप्त कर सकेंगी, जिससे वे स्थानीय महाजनों के ऊंचे ब्याज दरों से बच सकेंगी.
आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि की मिसाल
बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी लिमिटेड के गठन से यह स्पष्ट है कि अब बिहार की ग्रामीण महिलाएं केवल आर्थिक सहायता प्राप्त करने वाली इकाई नहीं रह गई हैं, बल्कि वे वित्तीय संस्थाओं की संरचना, संचालन और नीति निर्माण की मुख्य धुरी बन चुकी हैं. यह संस्था न केवल उन्हें तत्कालीन ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग करेगी, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक आत्मनिर्भरता और समृद्धि की राह भी प्रशस्त करेगी.
यह पहल आने वाले वर्षों में एक मॉडल के रूप में स्थापित हो सकती है, जो दिखाएगा कि कैसे समुदाय आधारित, महिला नेतृत्व वाली वित्तीय व्यवस्थाएं ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल सकती हैं.