छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को शराब घोटाले मामले में बड़ी राहत मिली है। ईओडब्ल्यू द्वारा उनके खिलाफ सात दिन की कस्टोडियल रिमांड की मांग हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। इस फैसले से चैतन्य बघेल फिलहाल गिरफ्तारी और हिरासत से बच गए हैं और उनकी ज्यूडिशियल रिमांड खत्म होने के बाद सुरक्षा में राहत मिली है।
मामले की पृष्ठभूमि यह है कि ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में चैतन्य बघेल के खिलाफ 7 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट पेश की थी। इसके बाद उन्हें ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजा गया। ज्यूडिशियल रिमांड खत्म होने पर सोमवार को उनकी ईओडब्ल्यू में पेशी हुई। इसी दौरान ईओडब्ल्यू ने अदालत से सात दिन की कस्टोडियल रिमांड की मांग की, ताकि जांच के दौरान उनसे पूछताछ की जा सके।
चैतन्य बघेल के वकील फैसल रिज़वी ने बताया कि ईओडब्ल्यू ने पहले ही 12 और 13 सितंबर को पूछताछ की अनुमति प्राप्त की थी। इसके बाद हाईकोर्ट में एंटीसिपेटरी बेल के लिए याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने उन्हें सेशन कोर्ट में सुनवाई के लिए निर्देश दिए और इस बीच प्रोडक्शन वारंट को स्थगित रखने का आदेश दिया। फैसल रिज़वी ने इसी आधार पर ईओडब्ल्यू की कस्टोडियल रिमांड का विरोध किया, जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया।
कोर्ट के इस फैसले के बाद चैतन्य बघेल की सुरक्षा सुनिश्चित हो गई है और उन्हें फिलहाल हिरासत में नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही सेशन कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 16 सितंबर को निर्धारित की गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, हाईकोर्ट का यह निर्णय जांच एजेंसी की दखलअंदाजी को सीमित करने और आरोपी के अधिकारों की सुरक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले से यह संदेश भी गया है कि जांच एजेंसियों की मांगों को न्यायालय उचित ठहराए बिना स्वीकृत नहीं करती।
इस मामले को लेकर राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से भी काफी ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश में यह मामला व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है और आने वाले दिनों में अदालत में सुनवाई के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।