देश के लिए महंगाई के मोर्चे से अच्छी खबर सामने आ रही है. भारत में थोक महंगाई की दर मई में घट गई है. मुद्रास्फ्रीति अप्रैल महीने से मई में कम हो गई है. जहां महंगाई अप्रैल में 0.85 प्रतिशत पर थी. वह मई में घटकर 0.39 प्रतिशत पर गई है.
थोक महंगाई 14 महीने के निचले स्तर पर आ गई. इससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी. खाने-पीने और जरूरत के सामानों की कीमत में कटौती करने के चलते महंगाई में कमी है. इससे पहले मार्च 2024 में थोक महंगाई दर 0.26 प्रतिसत रही थी. वहीं, अगर बात अप्रैल महीने की करें तो उसमें थोक महंगाई की दर 2.05 प्रतिशत से कम होकर 0.85 प्रतिशत पर गई थी.
ये चीजें हुईं सस्ती
खाने पीने के सामानों में कटौती करने का असर थोक महंगाई के आंकड़ों के तौर पर साफ देखा जा सकता है. खाने-पीने की चीजों (फूड इंडेक्स) की महंगाई 2.55% से घटकर 1.72% हो गई है. फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -2.18% से घटकर -2.27 रही है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.62% से घटकर 2.04 रही है.
रिटेल महंगाई में भी कमी
थोक महंगाई के आंकड़ों से पहले सरकार की ओर से रिटेल महंगाई के आंकड़ें जारी किए गए थे. 12 जून को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2025 में भारत की रिटेल महंगाई घटकर 2.82% पर पहुंच गई, जो छह साल का सबसे निचला स्तर है. इससे पहले मार्च 2019 में यह 2.86% थी. खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार कमी के कारण रिटेल महंगाई में नरमी आई है. अप्रैल 2025 में रिटेल महंगाई 3.16% थी, जबकि मार्च में यह 3.34% रही, जो 67 महीने का सबसे निचला स्तर था. फरवरी से रिटेल महंगाई RBI के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है.
कैसे मापी जाती है महंगाई?
रिटेल और थोक महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग उत्पादों को आधार बनाया जाता है. महंगाई मापने हेतु विभिन्न आइटम्स को शामिल किया जाता है. उदाहरण के लिए, थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे खाद्य पदार्थों की 22.62%, और फ्यूल व ऊर्जा की 13.15% होती है. दूसरी ओर, रिटेल महंगाई में खाद्य पदार्थों और उत्पादों की हिस्सेदारी 45.86%, आवास की 10.07%, और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी शामिल होती है.