गोंडा: देश की राजनीति एक बार फिर संविधान की मूल भावनाओं और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर गरमा गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हालिया बयान कि “धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद जैसे शब्द संविधान में नासूर बन गए हैं” पर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इसी सिलसिले में गोंडा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि जिस समय देश में आपातकाल लगा था, उस समय तुष्टीकरण की राजनीति चरम पर थी। उसी दौरान कांग्रेस ने संविधान में “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़ा, जबकि यह बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार की गई मूल प्रस्तावना में शामिल नहीं था। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि तुष्टीकरण के एजेंडे के तहत संविधान में कई बार राजनीतिक हितों के अनुसार छेड़छाड़ की गई, जो आज समाज में तनाव और विवाद का कारण बन रही है.
सांसद सिंह ने कहा, “आज आवश्यकता इस बात की है कि जो शब्द समाज में विवाद और तनाव पैदा कर रहे हैं, उन्हें संविधान से हटाया जाना चाहिए.”
इसी बीच राहुल गांधी ने एक ट्वीट में बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि “संविधान बीजेपी और आरएसएस को चुभता है। उन्हें संविधान नहीं, बल्कि मनुस्मृति चाहिए जिससे देश के गरीबों को दोबारा गुलाम बनाया जा सके।” इस पर पलटवार करते हुए बृजभूषण ने कहा कि राहुल गांधी को पहले मनुस्मृति पढ़नी चाहिए.
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को यह जानना चाहिए कि मनुस्मृति में जन्म के आधार पर किसी को शूद्र, वैश्य या क्षत्रिय नहीं कहा गया. समाज में ऊंच-नीच की व्यवस्था कर्म के आधार पर थी, न कि जन्म के आधार पर.”
सिंह ने आगे कहा कि वेदव्यास, जिन्हें द्वापर युग में अत्यंत सम्मान मिला, जन्म से नहीं बल्कि कर्म से पूजनीय बने। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति उस काल की सामाजिक व्यवस्था का दस्तावेज़ थी, जो समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए लिखी गई थी। बाद में उसमें कुछ लोगों ने छेड़छाड़ की, जिससे भ्रम पैदा हुआ और आज उसी को लेकर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है.
वहीं, पश्चिम बंगाल में हुई एक महिला से अमानवीय घटना को लेकर भी बृजभूषण शरण सिंह ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब बंगाल में कम्युनिस्ट शासन था, तब भी कानून व्यवस्था की स्थिति खराब थी और आज भी राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों को मानने से इनकार करती है। उन्होंने कहा, “अब इस पर विचार करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वहां कानून का शासन कैसे बहाल किया जाए.”
बृजभूषण शरण सिंह के इस बयान ने एक बार फिर देश की राजनीति को गरमा दिया है। जहां एक ओर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मनुस्मृति जैसे धार्मिक ग्रंथों को लेकर बहस तेज हो गई है.
राजनीतिक गलियारों में यह बयान हलचल मचा रहा है और आने वाले दिनों में इस पर और घमासान तय माना जा रहा है.