Bangladesh Crisis : बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन रोकने में विफल रहे सेना प्रमुख का अब बड़ा बयान वायरल हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में शेख हसीना के भाग जाने से एक रात पहले सेना प्रमुख ने अपने जनरलों के साथ बैठक की थी. इसमें निर्णय लिया कि सेना कर्फ्यू लागू करने के लिए नागरिकों पर गोलियां नहीं चलाएगी. यह जानकारी रॉयटर्स को दो अधिकारियों ने दी. एक भारतीय अधिकारी के अनुसार, इसके बाद जनरल वकार-उज-जमान ने हसीना के कार्यालय से संपर्क किया और प्रधानमंत्री को बताया कि उनके सैनिक कर्फ्यू को लागू करने में असमर्थ होंगे. अधिकारी का संदेश स्पष्ट था कि हसीना को अब सेना का समर्थन नहीं रहा.
‘लोगों की जान की रक्षा करना जरूरी’
रॉयटर्स ने शेख हसीना के शासनकाल के अंतिम 48 घंटों का लेखा-जोखा रखने के लिए बांग्लादेश में 4 सेवारत सेना अधिकारियों और 2 अन्य जानकारों समेत 10 लोगों से बात की. सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल एम. सखावत हुसैन ने कहा कि हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए सैनिकों के भीतर बेचैनी थी. शायद इसी वजह से सेना प्रमुख पर दबाव पड़ा, क्योंकि सैनिक बाहर थे और वे देख रहे थे कि क्या हो रहा है. सेना प्रवक्ता चौधरी ने बताया कि जनरल ने कहा कि लोगों की जान की रक्षा करना जरूरी है और उन्होंने अपने अधिकारियों से धैर्य रखने को कहा. यह पहला संकेत था कि बांग्लादेश की सेना हिंसक प्रदर्शनों को बलपूर्वक नहीं दबाएगी, जिससे हसीना असुरक्षित हो जाएंगी. ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद शाहदुल अनम खान जैसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ सैनिक उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने सोमवार को कर्फ्यू का उल्लंघन किया और सड़कों पर उतर आए. खान ने कहा कि सेना ने हमें नहीं रोका. सेना ने वही किया जो उन्होंने वादा किया था.
पीएम आवास के बाहर देख भीड़ भागने लगीं हसीना
सोमवार को कर्फ्यू के पहले दिन हसीना पीपुल्स पैलेस के अंदर छिपी रहीं. बाहर शहर की सड़कों पर भीड़ जमा हो गई. हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन करने वाले नेताओं के आह्वान पर शहर के बीचोंबीच मार्च करने के लिए उमड़ पड़े. स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाने के कारण 76 वर्षीय नेता ने सोमवार सुबह देश छोड़कर भागने का निर्णय लिया. बांग्लादेश के एक सूत्र के अनुसार, हसीना और उनकी बहन जो लंदन में रहती हैं, लेकिन उस समय ढाका में थीं. उन्होंने इस मामले पर चर्चा की और साथ में उड़ान भरी. दोपहर में ही वह भारत के लिए रवाना हो गईं. बहुत कम समय में ही उन्होंने भारत आने के लिए अनुमति मांगी थी.