प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते 13 सितंबर को मणिपुर का दौरा कर सकते हैं. उनके इस दौरे से पहले केंद्र सरकार को बड़ी सफलता मिली है. कुकी-जो काउंसिल ने मणिपुर में बंद किए हुए नेशनल हाइवे- 2 को खोलने का फैसला किया है. कुकी जो काउंसिल और गृह मंत्रालय के बीच नेशनल हाइवे 2 को खोलने के साथ-साथ राज्य में शांति बहाली और कुछ अन्य समझौते भी हुए हैं.
13 सितंबर को पीएम मोदी की मणिपुर की संभावित यात्रा में ये बहुत अहम पड़ाव है. पिछले कई महीनों से गृह मंत्रालय सरकार की टीम मणिपुर में शांति बहाली की पहल की दिशा में मणिपुर हिंसा में शामिल गुटों से वार्ता कर रही थी, जिसके बाद यह अहम सफलता मिली है और नेशनल हाइवे 2 को खोलने का फैसला हुआ है. गृह मंत्रालय पहले ही मणिपुर में हिंसा में शामिल तमाम गुटों से वार्ता कर रहा है.
मणिपुर का लाइफ लाइन है NH-02
कुकी जो काउंसिल से वार्ता में ये भी तय हुआ है कि ये गुट मणिपुर में सुरक्षाबलों को पूरा सहयोग करेगा. एनएच 2 को मणिपुर का लाइफ लाइन माना जाता है. मणिपुर की राजधानी इंफाल को कांगपोकपी और चुराचांदपुर जैसे शहर और कस्बे से जोड़ने वाला राजमार्ग है. मणिपुर के चुराचांदपुर में कुकी समुदाय की बहुलता है. इस समुदाय ने राज्य में जातीय हिंसा के बाद हाइवे बंद कर दिया था.
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कुकी-जो परिषद ने नेशनल हाइवे 2 को खोलने का फैसला किया है. यह निर्णय पिछले कुछ दिनों में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और केजेडसी के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई कई बैठकों के बाद लिया गया है.
कुकी-जो परिषद ने एनएच-02 पर शांति बनाए रखने के लिए भारत सरकार द्वारा तैनात सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है. मंत्रालय ने कहा कि ज्वाइंट मॉनिटरिंग ग्रुप अब से इस पर कड़ी निगरानी रखेगा ताकि सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस का उल्लंघन न हो.
समझौते में किन मसलों पर बनी सहमति
इससे पहले गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के प्रतिनिधियों के बीच आज गुरुवार को दिल्ली में एक त्रिपक्षीय बैठक भी आयोजित की गई. बैठक में सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (SoO) समझौते पर करार हुआ. ये समझौता पर हस्ताक्षर की तारीख से एक साल की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा.
गृह मंत्रालय के साथ बैठक में शामिल संगठन KNO और UPF ने भी कई मसलों पर अपनी सहमति भी जताई है. पहला, 7 शिविरों को संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर स्थानांतरित करना. दूसरा, शिविरों की संख्या को कम करना. तीसरा, हथियारों को निकटतम CRPF या BSF कैंपों में स्थानांतरित करना. चौथा, सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों की कठोर शारीरिक जांच की प्रक्रिया को मानना, ताकि यदि कोई विदेशी नागरिक मिले तो उसे हटाया जा सके.