भारत में अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए का बाजार तेजी से पनप रहा है. इसका एक ये भी कारण है कि अभी तक इसको लेकर कोई मजबूत सुरक्षा उपाय और रेग्युलेट करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इस अवैध सट्टेबाजी और जुआ को सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया जा रहा है. दरअसल, सट्टेबाजी को लेकर एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. साल 25 में टॉप 15 अवैध सट्टेबाजी के प्लेटफार्मों पर 5.4 बिलियन विजिट कर चुके हैं.
पब्लिक पॉलिसी थिंक-टैंक कंज्युमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (CUTS) इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार,1xBet, Parimatch, Stake, Fairplay और BateryBet सहित तमाम अवैध प्लेटफार्मों में वार्षिक जमा राशि 100 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है. हैरानी की बात ये है कि ये प्लेटफॉर्म अक्सर केवाईसी और आयु वेरिफिकेशन जैसे बुनियादी सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर देते हैं. इसके चलते नाबालिग और युवा जुए के कंटेंट तक आसानी से पहुंच रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पैरीमैच जैसे कुछ ऑपरेटर कैश-ऑन-डिलीवरी का ऑप्शन दे रहे हैं, जिसके चलते नाबालिगों को इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने में आसानी हो रही है क्योंकि कैश ऑन डिलीवरी की वजह से उन्हें डिजिटल भुगतान नहीं करना पड़ रहा है, ऐसे में उनके लिए माता-पिता की इजाजत न लेना या कानूनी निगरानी के बिना बार-बार जुआ खेलना आसान हो जाता है.
केंद्रीय रेग्युलेटर बनाने की अपील
CUTS के संस्थापक और महासचिव प्रदीप मेहता ने कहा, ‘इस रिपोर्ट से एक परेशान करने वाली सच्चाई सामने आती है. दुनिया भर में कई देश अवैध जुए पर सख्त दंड लागू कर रहे हैं और मेजर टेक प्लेटफार्मों के साथ पार्टनरशिप बना रहे हैं, वहीं भारत में बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी बनी हुई है. अगर तुरंत इनके खिलाफ रेग्युलेटरी एक्शन नहीं लिया गया तो ये प्लेटफॉर्म बेखबर और कमजोर कंज्युमर को निशाना बनाते रहेंगे. हमें भारतीय यूजर्स की सुरक्षा और हमारे डिजिटल इकोसिस्टम की अखंडता को बहाल करने के लिए तेजी से काम करना चाहिए.’
इस तरह के प्लेटफॉर्मों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए रिपोर्ट में एक केंद्रीय रेग्युलेटर बनाने की अपील की गई है. रिपोर्ट में विज्ञापनों के लिए मानदंडों की कमी, नो पेमेंट-ब्लॉकिंग प्रोटोकॉल की कमी और विशेष रूप से अवैध जुए के लिए कोई व्यवस्थित डोमेन-मॉनिटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने पर बात की गई है. मेहता का कहना है कि अवैध जुआ ऑपरेटर्स भारत के विज्ञापन और पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का व्यवस्थित रूप से शोषण कर रहे हैं. देश के बाहर से करोड़ों रुपए निकाल रहे हैं. यह एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा है और देश के उपभोक्ताओं को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है.
इन साइटों से भी ज्यादा है Parimatch का ट्रैफिक
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भी अधिक चिंता वाली बात ये है कि मार्च 2025 के महीने में ऐसे ही एक प्लेटफॉर्म Parimatch का ट्रैफिक शेयर amazon, wikipedia, google.co.in, ट्विटर, hotstar, flipkart, linkedin, quora और reddit जैसी व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली साइटों से भी आगे निकल गया.