बिहार के गोपालगंज में संपत्ति के लालच में अपनी देवरानी के नाबालिग बेटे अजय की हत्या करने वाली महिला उर्मिला देवी को कोर्ट ने सजा सुनाई है. एडीजे मानवेंद्र मिश्रा की कोर्ट ने उर्मिला देवी को नए कानून बीएनएस की धारा 103/3 (5) के तहत उम्रकैद सजा सुनाई. इसके अलावा एक एक लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. नए कानून बीएनएस के तहत जिले का यह पहला फैसला है. वहीं राज्य का दूसरा फैसला है.
बिहार में इसके पहले छपरा की कोर्ट ने बीएनएस के तहत राज्य ही नहीं देश का भी पहला फैसला सुनाया था. कोर्ट ने नौ दिनों के रिकार्ड समय में ट्रायल को पूरा किया. इसके अलावा सात वर्ष की बच्ची बीना कुमारी, जो कांड की चश्मदीद थी, उसके बयान को कोर्ट ने महत्वपूर्ण माना. हालांकि कोर्ट ने बचाव पक्ष ने कहा हत्या करते किसी ने नहीं देखा, केवल शक के आधार पर अभियोजन ने उर्मिला देवी को फंसा दिया, घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है.
मां-बहन के चेहरे पर था बेटे को खोने का गम
बचाव पक्ष का कहना है कि घटना के समय उर्मिला देवी खेत में काम कर रही थी. ऐसे में कुत्ते द्वारा दुपट्टा सूंघकर घर तक पहुंच जाना साक्ष्य की श्रेणी में नहीं आता। हालांकि इस साक्ष्य को कोर्ट ने अहम माना. बच्चे की हत्या के मामले में प्रत्यक्षदर्शी मृतक की बहन बीना कुमारी उसकी बड़ी बहन पूनम कुमारी और मां सुमित्रा देवी कोर्ट में मौजूद अजय की मां सुमित्रा देवी के चेहरे पर भी बेटे के खोने का गम था. इसके साथ ही यह सुकून भी था कि उसे इंसाफ मिला.
कोर्ट में इनकी गवाही ने दिलाई सजा
बच्चे की हत्या के मामले में प्रत्यक्षदर्शी मृतक की बहन बीना कुमारी, उसकी बड़ी बहन पूनम कुमारी, मां सुमित्रा देवी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. रमाकांत सिंह, कांड के आइओ राजा राम की गवाही को कोर्ट ने महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए सजा सुनाई.
संपत्ति के लालच में कर दी हत्या
अपर लोक अभियोजक जयमराम साहू ने कोर्ट में कहा कि 6 साल का बच्चा अजय, अभियुक्त को बड़ी मां कहकर बुलाता था. संपत्ति के लालच में उर्मिला देवी ने देवर के इकलौते पुत्र का अपने हाथों से गला घोंट दिया. अधिकांश परिवार में बच्चे अपनी बड़ी मां के ज्यादा करीब होते हैं. अभियुक्त ने रिश्ते की मर्यादा को कलंकित किया है.