बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाला मामला सामने आया है. पांच विद्यालयों में निरीक्षण के बाद 57 शिक्षकों का 7 दिन का वेतन और 9 शिक्षकों का 3 दिन का वेतन काटने का आदेश डीईओ ने दिया है. वैशाली जिला शिक्षा पदाधिकारी रविंद्र कुमार ने चेहराकलां प्रखंड के पांच विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया, जहां का हाल देखकर अधिकारी भड़क गए.
विद्यालयों में उपस्थिति शून्य, शिक्षक मोबाइल पर मस्त, बीएन उच्च माध्यमिक विद्यालय सेहान:
26 शिक्षक तैनात, 1819 छात्र नामांकित – परंतु मात्र 14 छात्र ही मौजूद थे.
स्कूल अक्सर 3 बजे ही छुट्टी कर देता है, जबकि जांच का समय 3:15 था.
20 शिक्षकों ने पाठ टिका नहीं भरा, प्रधान ने मदवार पंजी नहीं दिखाया.
कार्रवाई – 20 शिक्षकों का 7 दिन का वेतन कटौती, 6 का 3 दिन का वेतन कट.
मध्य विद्यालय सेहान:
11 शिक्षक तैनात, 302 छात्र नामांकित – एक भी बच्चा मौजूद नहीं.
पंजी और पाठ टिका दोनों नदारद.
कार्रवाई – प्रधान सहित सभी शिक्षकों का 7 दिन का वेतन काटा गया.
एनपीएस मोहम्मदपुर गंगटी:
6 शिक्षक तैनात, 63 छात्र नामांकित – लेकिन उपस्थिति शून्य.
कार्रवाई – सभी शिक्षकों का 7 दिन का वेतन काटा गया.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सलेमपुर डुमरिया:
9 शिक्षक कार्यरत, परंतु बच्चे कक्षाओं में नहीं बल्कि इधर-उधर घूमते दिखे.
अधिकांश शिक्षक मोबाइल में व्यस्त.
कार्रवाई – सभी शिक्षकों का 7 दिन का वेतन कटौती.
उच्च माध्यमिक विद्यालय रसूलपुर फतह:
14 शिक्षक तैनात, 586 छात्र नामांकित – केवल 165 बच्चे मौजूद.
कार्रवाई – 11 शिक्षकों का 7 दिन का वेतन कटौती, 3 शिक्षकों का 3 दिन का वेतन कट.
वैशाली के स्कूलों का यह हाल उस समय सामने आया है, जब सरकार लगातार शिक्षा सुधार और शिक्षक भर्ती की बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है. लाखों की संख्या में नियुक्तियां और तबादले का दावा नीतीश सरकार करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत स्कूल खाली, शिक्षक गायब या मोबाइल में व्यस्त. नीतीश सरकार जहां शिक्षा को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताती है, वहीं वैशाली का यह खुलासा विपक्ष को हथियार थमा देगा. सवाल उठना लाजमी है कि क्या बिहार में शिक्षक सिर्फ वेतन लेने के लिए हैं?