बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 4 सितंबर को बिहार बंद बुलाने का ऐलान किया है। इस दौरान राज्य भर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग उठाई जाएगी।
एनडीए नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री की मां का अपमान पूरे देश का अपमान है और इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गठबंधन ने साफ किया कि लोकतंत्र में असहमति जताने का अधिकार सभी को है, लेकिन व्यक्तिगत टिप्पणी और अभद्र भाषा किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं हो सकती।
जानकारी के मुताबिक, 4 सितंबर को होने वाले बिहार बंद के दौरान एनडीए के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर विरोध जताएंगे। बाजार, दफ्तर और परिवहन सेवाओं पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने लोगों से अपील की है कि वे इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद करें।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब विपक्षी दल के एक नेता ने पीएम मोदी की मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद से सियासी तूफान खड़ा हो गया है। एनडीए नेताओं ने इसे न केवल निंदनीय बल्कि शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे देश की मातृ शक्ति का अपमान है।
विपक्षी दल पर दबाव बढ़ाने के लिए एनडीए ने इस बंद को जनता का आंदोलन बताया है। वहीं, प्रशासन भी इस बंद को लेकर अलर्ट पर है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए जा रहे हैं।
बिहार बंद की घोषणा के बाद राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। एक ओर एनडीए इस मुद्दे पर जनता का समर्थन जुटाने में जुटा है, वहीं विपक्षी दलों पर बचाव की स्थिति बन गई है। अब 4 सितंबर को बिहार बंद कितना व्यापक असर डालता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।