नालंदा : नालंदा जिले में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. हिलसा, एकंगरसराय और करायपरसुराय प्रखंडों में लोकायन नदी के टूटे तटबंधों की मरम्मत नहीं होने से हालात गंभीर होते जा रहे हैं. पिछले चार दिनों से बाढ़ के पानी से जूझ रहे इन इलाकों में हजारों लोग बेघर हो गए हैं और लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ है.हिलसा प्रखंड की छह पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस जाने से बड़ी आबादी प्रभावित हुई है. एकंगरसराय की तीन पंचायतें और करायपरसुराय के दस से अधिक गांव पूरी तरह पानी में डूब गए हैं. सबसे गंभीर स्थिति किसानों की है. करीब छह हजार हेक्टेयर धान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ है.
बारिश थमने के बाद नदी के जलस्तर में चार फीट की गिरावट दर्ज की गई है. बावजूद इसके अधिकांश गांवों में दो फीट तक पानी अब भी जमा है. हिलसा के मिर्जापुर, कोरावा और चिकसौरा पंचायत के कई गांवों में धीरे-धीरे पानी उतर रहा है, लेकिन निचले इलाकों के घर अभी भी पानी से घिरे हैं. एकंगरसराय प्रखंड में लाला बिगहा गांव के पास तटबंध टूटने से योगीपुर, असाढ़ी और रेंडी पंचायत के गांवों में हालात बदतर हैं. वहीं क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण हिलसा के 12 से अधिक गांवों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया है.
करायपरसुराय प्रखंड के निरीया, तुलसीपुर, शाहबाजपुर, ग्वासपुर और बेरथू पंचायतों के गांवों में पानी भरा हुआ है. कई गांव पूरी तरह जलमग्न हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त है.बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस राहत कार्य नहीं किया गया है। केवल सूखा राशन दिया जा रहा है, जबकि लोगों को पके भोजन की सख्त जरूरत है. चारों तरफ पानी भरे रहने से सांप-बिच्छू का खतरा भी बढ़ गया है. बेलदारी बिगहा के ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए तत्काल मदद की मांग की है.