जमुई : समाज में बदलाव की शुरुआत हमेशा छोटे प्रयासों से होती है. जब कोई विचार कर्म में बदलता है तो वह समाज की दिशा बदलने की ताकत रखता है. जमुई जिले में “साईकिल यात्रा एक विचार” ऐसा ही एक अनोखा प्रयोग है, जो आज सामाजिक चेतना और पर्यावरण संरक्षण का मजबूत आधार बन चुका है.
इस संस्था की स्थापना 10 जनवरी 2016 को विवेक कुमार ने की थी. उनका सपना था कि युवाओं को केवल राजनीति या रोजगार की दौड़ तक सीमित न रहकर समाज और पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील बनाया जाए. इसी सोच से यह पहल शुरू हुई। विशेष बात यह है कि यह यात्रा निरंतर हर रविवार बिना रुके आयोजित की जा रही है. अगस्त 2025 तक इस अभियान ने अपने 504वें सप्ताह की पूर्णता दर्ज कर ली है. यह निरंतरता स्वयं में एक मिसाल है, जो बताती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन के बल पर कोई भी विचार स्थायी रूप से समाज को बदल सकता है.
अब तक इस यात्रा के दौरान 11,244 किलोमीटर की दूरी तय की गई है और जमुई सहित आस-पास के 672 गांव/टोले का भ्रमण किया गया है। केवल पैडल मारना ही इसका उद्देश्य नहीं रहा, बल्कि हर यात्रा के साथ एक नई सामाजिक चेतना जगाना इसकी पहचान बन चुकी है. यात्रा के माध्यम से ग्रामीणों को शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जागरूक किया गया है. इस मंच ने यह साबित किया है कि साइकिल सिर्फ परिवहन का साधन नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का उपकरण भी हो सकती है.सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि पौधारोपण है. अब तक संस्था ने अपने सदस्यों और समर्थकों के सहयोग से 34,991 पौधे लगाए हैं. यह प्रयास ऐसे समय में हो रहा है जब जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण गंभीर चुनौती बने हुए हैं. हर पौधा सिर्फ हरियाली ही नहीं बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वातावरण का प्रतीक है.
“साईकिल यात्रा एक विचार” ने यह भी दिखाया कि युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा मिले तो वह समाज में गहरा असर छोड़ सकती है. इस अभियान ने गांवों में सामुदायिक भावना को मजबूत किया, बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित किया और स्वच्छता व स्वास्थ्य के प्रति लोगों में सजगता लाई. वास्तव में यह सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि आंदोलन है जो धीरे-धीरे समाज की सोच को बदल रहा है.
आज जब शहरीकरण और आधुनिकता के नाम पर लोग अपने परिवेश और पर्यावरण से दूर होते जा रहे हैं, तब जमुई से उठी यह अनूठी पहल पूरे राज्य और देश के लिए प्रेरणा बन सकती है. सरकार और प्रशासन को भी ऐसे प्रयासों से सीख लेनी चाहिए और इस तरह की सामाजिक पहलों को प्रोत्साहित करना चाहिए. अंततः, “साईकिल यात्रा एक विचार” इस बात का उदाहरण है कि अगर एक व्यक्ति सच्चे संकल्प के साथ समाज के लिए खड़ा हो जाए तो हजारों लोग उसके साथ चलने लगते हैं. विवेक कुमार और उनकी टीम ने सिद्ध कर दिया है कि विचार जब पैडल की तरह लगातार घूमते रहते हैं, तो बदलाव की राह स्वतः खुलती चली जाती है. यह पहल केवल जमुई की पहचान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आशा और विश्वास का प्रतीक है.